Jio Platforms news : रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की डिजिटल और टेक सब्सिडियरी, जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड, 2024-25 के दौरान भारत की सबसे बड़ी ग्लोबल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) क्रिएटर बनकर उभरी है। इसकी वजह ये है कि यह अपने सभी बिजनेस डिवीजनों को AI-नेटिव बनाने पर फोकस कर रही है। पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेड मार्क्स के कंट्रोलर जनरल के ऑफिस द्वारा जारी एक सालाना रिपोर्ट के मुताबिक,जियो प्लेटफॉर्म्स ने 1,037 इंटरनेशनल पेटेंट के साथ बढ़त बनाई है। यह TVS मोटर जैसी दूसरी भारतीय कंपनियों से कहीं ज़्यादा है, जिसने 238 पेटेंट फाइल किए हैं। इसके बाद CSIR (70), IIT मद्रास (44), और ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (31) का नंबर आता है।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर होने वाला खर्च भी FY25 में 14.9% बढ़कर 4,185 करोड़ रुपए रहा
अकेले जियो की इंटरनेशनल पेटेंट फाइलिंग दूसरे से दसवें नंबर पर आने वाली कंपनियों के कुल योग से दोगुनी से भी ज़्यादा रही। घरेलू पेटेंट को मिलाकर कंपनी कुल पेटेंट की संख्या 1,654 हो जाती है। कंपनी का रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर होने वाला खर्च भी FY25 में 14.9% बढ़कर 4,185 करोड़ रुपए हो गया है।
फाइल किए गए पेटेंट की संख्या रिलायंस के एक डीपटेक कंपनी बनने के विज़न के मुताबिक है, जिसके पास मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं होंगी, जिसे RIL के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) 2025 के दौरान साफ किया था।
उस समय, रिलायंस जियो इन्फोकॉम (RJIL) के चेयरमैन आकाश अंबानी ने कहा, "हमने इसे एक ऐसे टेक्नोलॉजी स्टैक पर शरू किया है जिसे जियो के अपने इंजीनियरों ने पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन, डेवलप और डिप्लॉय किया है। अपना खुद का 5G कोर डेवलप करने से लेकर सबसे तेज़ 5G सर्विस शुरू करने तक और अब अपनी दुनिया की पहली होम कनेक्ट टेक्नोलॉजी डिप्लॉय करने तक, हमने एक डीप-टेक कंपनी के तौर पर अपनी जगह पक्की कर ली है।"
नेशनल IP अवॉर्ड के अनुसार, Jio ने पिछले तीन सालों में टेलीकॉम, AI और डिजिटल टेक्नोलॉजी में 4,000 से ज़्यादा ग्लोबल एप्लीकेशन फाइल किए हैं।
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