मार्केट फंडामेंटल्स पर चर्चा के लिए आज फर्स्ट ग्लोबल (First Global) की चेयरपर्सन और एमडी (Chairperson & MD) देविना मेहरा जुड़ी। इक्विटी मार्केट में 30 वर्षों से ज्यादा का अनुभव रखने वाली देविना जी निवेश और रिसर्च की दुनिया की बड़ी हस्तियों में शुमार रही है। देविना जी आज ऐसे समय में हमारे साथ जुड़ी है जब बाजार में भारी गिरावट है। देविना ने 90 के दशक में सिक्योरिटीज और रिसर्च फर्म की शुरुआत की थी। इनको US, यूरोपीय और एशियाई शेयर मार्केट की अच्छी समझ है। HDFC BK, Amazon, Apple जैसे शेयरों पर सबसे पहले इन्होंनें ही भरोसा जताया था। आइये उनसे समझते हैं कि इस गिरावट से वो किस तरह से निपट रही हैं।
बाजार की गिरावट को लेकर पेनिक की जरूरत नहीं
देविना मेहरा की राय है का बाजार की गिरावट को लेकर पेनिक की जरूरत नहीं है। बाजार में बहुत समय से एक करेक्शन का इंतजार था। वहीं होता दिख रहा है। इतनी तेजी के बाद कुछ करेक्शन स्वाभाविक है। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 17-18 साल से हर साल करीब 10 फीसदी का करेक्शन आया है। सिर्फ पिछले 3 साल ही ऐसे थे जिसमें इतना करेक्शन नहीं आया। 2023 में कोई करेक्शन नही आया था। अगर आप देखें तो इस बार दो साल के बाद इतना करेक्शन आया है। ये गिरावट इतना ज्यादा नहीं है जिसमें आपको पेनिक करना चाहिए।
गिरावट में खरीदारी के मौके बने
उन्होनें आगे कहा कि बहुत सारे निवेशकों और ट्रेडरों को ये गिरावट इसलिए ज्यादा बुरी लग रही है क्योंकि हेड लाइन इंडेक्स में तो उतनी गिरावट नहीं हुई है लेकिन मिड और स्मॉल कैप में ऐसे करीब 650 शेयर हैं जिनमें 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। 400 से ज्यादा शेयर ऐसे हैं जिनमें 50 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट आई है। इसी लिए ये करेक्शन कुछ लोगों को बहुत बुरा लग रहा है। लेकिन किसी गिरावट में इस तरह के बातें होती ही हैं। बाजार की इस गिरावट में पैनिक ना करें। गिरावट में खरीदारी के मौके बने हैं।
अदाणी मुद्दे का नहीं होगा बहुत लंबा असर
अदाणी ग्रुप पर आज आई खबर पर बात करते हुए देविना मेहरा ने कहा कि अभी उन्होंने इस खबर को अच्छे से देखा भी नहीं। उनके पीएमएस में इस ग्रुप के फीलहाल कोई शेयर नहीं हैं। हालांकि पहले उनके पास ये शेयर थे। उन्होंने आगे कहा कि ये देखना होगा कि इस खबर का कहां तक औैर कितना असर पड़ेगा। जो लोग अदाणी ग्रुप के शेयरों में निवेशित हैं उनको तो ध्यान देना ही होगा। लेकिन जहां तक पूरे बाजार का सवाल है ये बहुत लंबा खिंचने वाला असर नहीं होना चाहिए।
देविना ने आगे कहा कि खपत कम है और महंगाई ज्यादा है ये सब बातें अभी हाल फिलहाल बाजार की गिरावट के बाद सुनने को मिली हैं। लेकिन वास्तविकता तो ये है कि आंकड़ें इतने बदले नहीं है। खपत में सुस्ती को पिछले साल ही आ गई थी। जहां तक महंगाई का सवाल है तो खाने-पीने की चीजों की महंगाई जरूर बढ़ी है और ये बढ़ती ही जा रही है। भारत जैसे विकासशील बाजार और अमेरिका जैसे विकसित देशों के बाजार महंगाई में अलग -अलग व्यवहार करते हैं, क्योंकि हमारे देश की प्रति व्यक्ति आय आमेरिकी की तुलना में 30 गुना तक कम है।
भारत जैसे देश में जब खाने-पीने की चीजें महंगी होती हैं तो लोग साबुन, तेल और दवाई जैसी तमाम दूसरी जरूरी चीजों की खरीदारी में भी कटौती करने लगते हैं। जिससे पूरी इकोनॉमी में मंदी का डर पैदा हो जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए आगे रेट कट तो होंगे ही क्योंकि आरबीआई के पास और कोई चारा नहीं हैं।
IT पर ओवरवेट नजरिया बरकरार
इस बातचीत में देविना ने आगे कहा कि IT पर उनका ओवरवेट नजरिया बरकरार है। इकोनॉमी के लिए ट्रंप का पिछला कार्यकाल अच्छा था। देविना हेल्थकेयर-फार्मा सेक्टर पर भी ओवरवेट हैं। उनको ऑटो कंपोनेंट्स, केमिकल, FMCG भी अच्छे नजर आ रहे हैं। होटल इंडस्ट्री के लिए ये साल अच्छा रहा है। होटल के टैरिफ काफी महंगे हो चुके हैं।
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