ऑपरेशन सिंदूर के बाद अगर आप अपने निवेश को लेकर चिंतित हैं तो डरने की जरूरत नहीं है। भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले 25 सालों में 3 बार तनातनी हुई है लेकिन भारतीय बाजार पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। बल्कि जिसने निवेश किया उसका तो फायदा ही हुआ है। इसको लेकर कोटक MF ने एक रिपोर्ट निकाली है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में बाजार कैसा रह सकता है इस पर गहन विश्लेषण किया गया है।
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए पिछले संघर्षों के दौरान बाजार की स्थिति पर नजर डालें तो कारगिल वॉर 3 मई से 26 जुलाई 1999 तक चला था। इस अवधि में निफ्टी में 36.6 फीसदी की तेजी आई थी। कारगिल वॉर के 1 साल बाद निफ्टी में 29.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। उरी स्ट्राइक 18-28 सितंबर 2016 के बीच हुआ था। इस अवधि में निफ्टी में 0.4 फीसदी की तेजी आई थी। उरी स्ट्राइक के 1 साल बाद निफ्टी में 11.3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। बालाकोट स्ट्राइक 14-26 फरवरी 2019 के बीच हुआ था। इस अवधि में निफ्टी में 0.4 फीसदी की गिरावट आई थी। बालाकोट स्ट्राइक के 1 साल बाद निफ्टी में 8.9 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी।
13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमला हुआ था। उस दिन निफ्टी ने 14 फीसदी का गोता लगाया था। वहीं, ऑपरेशन सिंदूर को बाजार की सलामी मिली थी। उतार-चढ़ाव के बीच निफ्टी में 35 अंकों की बढ़त रही थी। मिडकैप और स्मॉलकैप में फुल जोश में थे। इनमें 1 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली।
लड़ाई लंबी चली तो क्या होगा?
कोटक MF की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत-पाकिस्तान लड़ाई लंबी चली तो देश की इकोनॉमी पर असर होगा। महंगाई और वित्तीय घाटा बढ़ेगा। इससे बाजार में भी गिरावट होगी। वहीं, अगर लड़ाई नहीं बढ़ी तो इसका सीमित असर होगा। बाजार में जल्द ही स्थिरता संभव है।
लड़ाई में क्या करें निवेशक?
कोटक MF का कहना है कि इस स्थिति में SIP को साथ ही एकमुश्त निवेश भी किया जा सकता है। धीरे-धीरे अपना निवेश बढ़ाएं। टॉप अप करें, पैनिक में बिकवाली नहीं करें और SIP नहीं रोकें।
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