दिग्गज प्राइवेट इक्विटी फर्म्स केदार कैपिटल (Kedaara Capital) और ब्लैकस्टोन (Blackstone) ने एक्सिस फाइनेंस में करीब 20% हिस्सेदारी के लिए बोली लगाई है। यह जानकारी सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों के हवाले से मिली है। एक्सिस फाइनेंस प्राइवेट सेक्टर के दिग्गज लेंडर एक्सिस बैंक की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी (NBFC) इकाई है। सूत्रों के मुताबिक एक और अहम स्ट्रैटेजिक प्लेयर एक्सिस फाइनेस में हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में है। सूत्रों ने बताया प्रस्तावित सौदे का साइज घटाया गया है। बता दें कि एक्सिस फाइनेंस ने अपने मजबूत वित्तीय प्रदर्शन और तगड़ी ग्रोथ के जरिए निवेशकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।
Axis Finance में कम हुई बिक रही हिस्सेदारी
पहले एक्सिस फाइनेंस की 50% हिस्सेदारी करीब $80-$100 करोड़ में बेचने की योजना थी जिसे घटाकर अब महज 20% यानी करीब $35–$40 करोड़ कर दिया गया। बता दें कि एक्सिस फाइनेंस में निवेश के लिए एडवेंट इंटरनेशनल (Advent International), ईक्यूटी (EQT), वारबर्ग पिनकस (Warburg Pincus), और केदार कैपिटल (Kedaara Capital) में निवेश की संभावना को लेकर मूल्यांकन किया था। सूत्रों के मुताबिक केदार कैपिटल और ब्लैकस्टोन ने इसमें 20% हिस्सेदारी की खरीदारी के लिए बोली लगा दी है।
कैसी है एक्सिस फाइनेंस की कारोबारी सेहत?
एक्सिस फाइनेंस का कारोबार पांच अहम कारोबारी लाइन-कॉरपोरेट लोन, रियल एस्टेट फंडिंग, कॉलैटरलाइज्ड लेंडिंग, एमएसएमई, और रिटेल फंडिंग में फैला हुआ है। पिछले वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 11% उछलकर ₹676 करोड़ पर पहुंच गया। एक्सिस बैंक की एनबीएफसी इकाई एक्सिस फाइनेंस का AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) करीब ₹39 हजार करोड़ है। एक्सिस बैंक के कुल सब्सिडरी अर्निंग्स में एक्सिस फाइनेंस में करीब 38% हिस्सेदारी है।
वित्त वर्ष 2025 में एक्सिस फाइनेंस का एयूएम सालाना आधार 22% की रफ्तार से बढ़ा तो वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2025 के बीच लोन बुक सालाना करीब 31% की चक्रवृद्धि रफ्तार यानी सीएजीआर से बढ़ा है। इसकी एसेटट क्वालिटी भी हेल्दी बनी हुई है। वित्त वर्ष 2025 में इसका नेट एनपीए रेश्यो 0.37% और कैपिटल एडेकेसी रेश्यो 20.9% पर रहा। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का RoE (रिटर्न ऑन इक्विटी) 14.5% रहा।
IPO को लेकर क्या है प्लान?
एक्सिस फाइनेंस को लेकर हिस्सेदारी बिक्री या आईपीओ, किस रास्ते पर आगे बढ़ा जाएगा, इसे लेकर एक्सिस बैंक का कहना है कि यह कंपनी की पूंजीगत जरूरतों से तय होगा और आरबीआई से मंजूरी पर निर्भर रहेगा। हालिया अर्निंग्स कॉल में एक्सिस बैंक के मैनेजमेंट ने कहा था कि एक्सिस फाइनेंस को अपर लेयेर एनबीएफसी की कैटेगरी में रखा जा सकता है। हालांकि अभी इसके लिए कोई समय-सीमा तय नहीं है। बता दें कि इस कैटेगरी में आने के बाद तीन साल के भीतर शेयरों की लिस्टिंग अनिवार्य हो जाती है।
डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।