गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर सरकार ने रोक लगा दी है और इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। सरकार ने 2023-24 के लिए ये रोक लगाई गई है। साथ सरकार ने ये साफ किया है कि बी हैवी मोलासेज से एथेनॉल बनाने पर रोक नहीं लगाई गई है। सरकार के इस फैसले का मकसद चीनी की कीमतें कंट्रोल करना है। सरकार ने चीनी की किल्लत रोकने के लिए ये फैसला लिया है। 2023-24 में चीनी उत्पादन गिरने से चिंता बढ़ी है। लेकिन सरकार के इस फैसले पर देश की सबसे बड़ी चीनी कंपनी बलरामपुर चीनी के सीएमडी विवेक सरावगी का कहना है कि सरकार को एथेनॉल के लिए गन्ने के जूस का इस्तेमाल पूरी तरह से नहीं रोकना चाहिए था।
हमारे सहयोगी चैनल सीएनबीसी-आवाज़ से विशेष बातचीत में सरावगी ने कहा कि एथेनॉल पर सरकार के फैसले का हमें अंदाजा नहीं था। सरकार के फैसले से बड़ा झटका लगा है। एथेनॉल डायवर्जन घटाने से बड़ा झटका लगा है। एथेनॉल पॉलिसी काफी विचार करके लाई गई थी। लिहाजा एथेनॉल डायवर्जन पर दूसरे विकल्प भी हो सकते थे। एथेनॉल के लिए गन्ने के जूस का उपयोग पूरी तरह से नहीं रोकना चाहिए था।
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि फैसले का कंपनी पर बहुत बड़ा असर नहीं होगा क्योंकि सरकार का ये फैसला लंबी अवधि के लिए नहीं है। चीनी के दाम घटाने के लिए सरकार ने कदम उठाया। लेकिन सरकार को दूसरे उपाय पर भी विचार करना चाहिए था। हम चीनी कीमतें घटाने के कदम का समर्थन करते हैं। फिर भी फैसले के बाद सरकार को एथेनॉल की सप्लाई में कमी आएगी।
BALARAMPUR CHINI के सीएमडी विवेक सरावगी ने आगे कहा कि 10 साल में पहली बार सरकार के फैसले से निराशा हुई है। शुगर प्रोडक्शन 15 लाख से 17 लाख टन तक बढ़ जाएगा। सरकार ने पहले खूब बढ़ावा दिया लेकिन अचानक पीछे हट गई। शुगर की घरेलू खपत 285 लाख टन है। घरेलू खपत के मुकाबले चीनी का प्रोडक्शन काफी ज्यादा होगा। हालांकि हम भी सरकार के फैसले के साथ हैं।
विवेक ने कहा कि सरकार चीनी का एक्सपोर्ट खोले तो अच्छा होगा। किसानों पर भी सरकार के फैसले का असर देखने को मिलेगा। सरकार के फैसले से किसानों को भी झटका लगेगा। वहीं बैंकर के पीछे हटने से पेमेंट में देरी होगी। किसानों को मिलने वाले भुगतान में देरी संभव है। सरकार के उद्देश्य ने हमारा 10 साल तक साथ दिया।
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