Banking Stocks: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से बैंकों को बड़ी राहत मिली। रेगुलेटर ने liquidity coverage ratio (LCR) फ्रेमवर्क पर फाइनल गाइडलाइंस जारी कर दी है। इसके तहत रन-ऑफ रेट के नियम ड्रॉफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले कम सख्त किये गये हैं। प्राइवेट बैंकों के बाद अब PSU बैंक चल सकते हैं। LCR गाइडलाइंस से सेंटिमेंट सुधारेंगे। इंटरनेट और मोबाइल से डिपॉजिट पर नियम कम सख्त हुए हैं। अब 5% के मुकाबले 2.5% रन-ऑफ रेट लागू होगा। LCR फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। माना जा रहा है कि इससे बैंकों की लिक्वविडिटी बढ़ेगी। आरबीआई के इस कदम से आज बैकिंग स्टॉक्स में एक्शन देखने को मिल सकता है। जानते हैं बैंकिंग सेक्टर पर आज ब्रोकरेजेज की रिपोर्ट में क्या कहा गया है-
एचएसबीसी ने बैंकिंग सेक्टर पर राय देते हुए कहा कि LCR फ्रेमवर्क के नियम सभी बैंकों के लिए पॉजिटिव साबित होंगे। इससे बैंकों के बैलेंसशीट से 2.2 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी रिलीज होगी। इससे लोन/डिपॉडिज ग्रोथ और NIM को सपोर्ट संभव है
मॉर्गन स्टैनली ने बैंकों पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि RBI के फ्रेमवर्क से सिस्टम LCR में 6ppts बढ़ोतरी संभव है। इससे बैंकों को ग्रोथ और मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जेफरीज ने बैंकिंग सेक्टर पर कहा कि RBI ने LCR फ्रेमवर्क पर फाइनल गाइडलाइंस जारी की। रन-ऑफ रेट के नियम ड्रॉफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले कम सख्त हुए हैं। इससे सरकारी के साथ पुराने और बड़े प्राइवेट बैंकों को ज्यादा फायदा होगा। 1 अप्रैल 2026 से सिस्टम में लिक्विडिटी 6ppt बढ़ सकती है।
नुआमा ने बैंकों पर कहा है कि RBI ने LCR फ्रेमवर्क पर फाइनल गाइडलाइंस जारी की है। रन-ऑफ रेट के नियम ड्रॉफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले कम सख्त हुए हैं। फाइनल गाइडलाइंस सभी बैंकों के लिए पॉजिटिव हैं। LCR फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
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