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BSE और NSE ने ट्रांजेक्शन फीस में किया बदलाव, 1 अक्टूबर से लागू होंगी नई दरें

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने जुलाई में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया कि मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस के पास सभी सदस्यों के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर होना चाहिए। BSE ने इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स को छोड़कर अन्य कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ट्रांजेक्शन चार्जेस में कोई बदलाव नहीं किया है

अपडेटेड Sep 28, 2024 पर 9:28 AM
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BSE पर इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए कोई ट्रांजेक्शन फीस लागू नहीं है।

BSE और NSE ने कैश और फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सौदों के लिए अपने लेनदेन शुल्क यानि कि ट्रांजेक्शन फीस में बदलाव किया है। शेयर बाजारों ने अलग-अलग सर्कुलर में कहा कि नई दरें 1 अक्टूबर से लागू होंगी। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने शेयर बाजार समेत मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस के सभी सदस्यों के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर अनिवार्य कर दिया है।

BSE ने इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ट्रांजेक्शन फीस को रिवाइज कर 3,250 रुपये प्रति करोड़ प्रीमियम टर्नओवर कर दिया है। हालांकि, इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में दूसरे कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ट्रांजेक्शन चार्जेस में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेंसेक्स 50 ऑप्शंस और स्टॉक ऑप्शंस के लिए BSE प्रति करोड़ प्रीमियम टर्नओवर पर 500 रुपये ट्रांजेक्शन फीस लेता है। इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए कोई ट्रांजेक्शन फीस लागू नहीं है।

NSE की रिवाइज ट्रांजेक्शन फीस


NSE के अनुसार, कैश मार्केट के लिए ट्रांजेक्शन फीस प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू पर 2.97 रुपये होगी। इक्विटी फ्यूचर्स के लिए फीस प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू पर 1.73 रुपये, जबकि इक्विटी ऑप्शंस के लिए प्रति लाख प्रीमियम वैल्यू पर 35.03 रुपये होगी। करेंसी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में फ्यूचर्स के मामले में ट्रांजेक्शन फीस प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू पर 0.35 रुपये होगी। वहीं इंट्रेस्ट रेट ऑप्शंस समेत अन्य ऑप्शंस के लिए प्रति लाख प्रीमियम वैल्यू पर 31.10 रुपये होगी।

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SEBI ने जुलाई में जारी किया था सर्कुलर

सेबी ने जुलाई में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MIIs) की ओर से लगाए गए चार्जेस को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें कहा गया कि MIIs के पास सभी सदस्यों के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर होना चाहिए, जो मौजूदा वॉल्यूम बेस्ड स्लैब सिस्टम की जगह लेगा। इसके अलावा सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया कि ट्रेडिंग मेंबर्स की ओर से अपने क्लाइंट्स से वसूले जाने वाले चार्जेस, MII को उनकी ओर से दिए जाने वाले चार्जेस से मेल खाने चाहिए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

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