फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग को लेकर एक बड़ी खबर है। F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी जल्द ही बंद होते हुई दिखाए दे सकती है। हमारे सहयोगी CNBC-TV18 को सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) वीकली F&O कॉन्ट्रैक्ट्स को को बंद करने पर विचार करने के लिए अगले एक महीने के भीतर एक कंसल्टेशन पेपर ला सकता है। इस खबर के आते ही शेयर बाजार में भारी हलचल देखने को मिली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और एंजल वन (Angel One) जैसी कंपनियों के शेयर 5% तक टूट गए।
CNBC-TV18 की रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI जल्द ही फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) को लेकर एक बड़ा बदलाव कर सकता है। SEBI अगले एक महीने के भीतर एक कंसल्टेशन पेपर जारी करने की तैयारी में है, जिसमें वीकली F&O कॉन्ट्रैक्ट्स को खत्म करने और सिर्फ मंथली एक्सपायरी सिस्टम अपनाने का प्रस्ताव होगा।
सूत्रों का कहना है कि सेबी सभी एक्सचेंजों पर एक दिन एक्सपायरी की भी संभावना देख रहा है, ताकि सभी एक्सचेंज पर कॉन्ट्रैक्ट्स एक ही दिन खत्म हों। इसके लिए एक्सचेंज के साथ चर्चा अगले हफ्ते से ही शुरू हो सकती है। इसके अलावा, सेबी के कंसल्टेशन पेपर में रिटेल निवेशकों की F&O सेगमेंट में भागीदारी सीमित करने के लिए भी कुछ प्रस्ताव लाए जा सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी के बोर्ड की कल 12 सितंबर को बैठक होगी। संभावना है कि इस बैठक में डेरिवेटिव मार्केट से जुड़े कुछ अहम प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।
इन शेयरों में भारी गिरावट
SEBI के इस संभावित तैयारी की खबर के बाद आज 11 सितंबर को शेयर बाजार में कैपिटल मार्केट्स से जुड़े शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का शेयर कारोबार के दौरान करीब 5 प्रतिशत टूटकर 2,145 रुपये के स्तर पर आ गया।
एंजल वन के शेयरों में भी 5 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई और ये कारोबार के दौरान 2,210 रुपये के स्तर तक आ गया। नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट, 360 वन वैम और आदित्य बिड़ला सन लाइफ AMC के शेयरों में भी गिरावट देखी गई। निफ्टी का कैपिटल मार्केट्स इंडेक्स 1.5% तक भी गिर गया।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब ऐसी खबर ने बाजार को हिला दिया हो। पिछले महीने 21 अगस्त को भी जब सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की टेन्योर बढ़ाने का संकेत दिया था। उस वक्त भी BSE और Angel One के शेयरों में 9% तक की भारी गिरावट देखने को मिली थी।
तुहिन कांत पांडे ने उस वक्त कहा था कि फिलहाल यह एक "थॉट प्रोसेस" है और किसी भी फैसले से पहले इंडस्ट्री से व्यापक विचार-विमर्थ किया जाएगा। उनका मानना है कि लंबी अवधि वाले डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स से बाजार की स्थिरता बढ़ेगी और रिटेल निवेशकों में सट्टेबाजी के ट्रेंड पर अंकुश लगेगा।
इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट पिछले कुछ समय से सेबी की सख्ती की वजह से लगातार चर्चा में बना हुआ है। रेगुलेटर ने पहले ही नियम लागू कर दिया है कि हर एक्सचेंज पर सिर्फ एक ही वीकली कॉन्ट्रैक्ट की अनुमति होगी और उसकी एक्सपायरी डेट तय होगी।
मार्केट पार्टिसिपेंट्स का मानना है कि अगर वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स को पूरी तरह खत्म कर दिया जाता है, तो इससे BSE और दूसरी ब्रोकिंग कंपनियों के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर सीधा असर पड़ सकता है। साथ ही इससे इनके रेवेन्यू पर दबाव आना भी तय माना जा रहा है।
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