PSU Stocks: इन 3 सरकारी कंपनियों के कायाकल्प की तैयारी, मोदी सरकार बना रही बड़ा प्लान

मोदी सरकार अब एक और सेक्टर में सरकारी कंपनियों का कायाकल्प करने की तैयारी में है। यह सेक्टर है जनरल इंश्योरेंस का। मनीकंट्रोल को जानकारी मिली है कि सरकार 3 बड़ी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का कायाकल्प करने की योजना में है। इसके लिए इन कंपनियों के कैपिटल जरूरतों की हाल ही में समीक्षा की गई है। और अब सरकार इन कंपनियों में खुद पैसा डालने या दूसरे तरीकों से फंड जुटाने पर विचार कर रही है

अपडेटेड Sep 25, 2024 पर 9:15 PM
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सरकार कुछ जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को न्यू इंडिया एश्योरेंस के साथ मर्ज करने पर भी विचार कर रही है

मोदी सरकार अब एक और सेक्टर में सरकारी कंपनियों का कायाकल्प करने की तैयारी में है। यह सेक्टर है जनरल इंश्योरेंस का। मनीकंट्रोल को जानकारी मिली है कि सरकार 3 बड़ी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का कायाकल्प करने की योजना में है। इसके लिए इन कंपनियों के कैपिटल जरूरतों की हाल ही में समीक्षा की गई है। और अब सरकार इन कंपनियों में खुद पैसा डालने या दूसरे तरीकों से फंड जुटाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो यह डिफेंस, रेलवे और पावर सेक्टर के बाद सरकार का एक और बड़ा दांव हो सकता है।

मनीकंट्रोल को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक सरकार कुछ जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को न्यू इंडिया एश्योरेंस के साथ मर्ज करने की संभावना पर भी विचार कर रही है। साथ ही इन इंश्योरेंस कंपनियों में उनके मुनाफे के अनुपात में नई पूंजी डालने पर भी विचार किया जा रहा है। इससे पहले वित्त वर्ष 2020 से 2022 के बीच सरकार ने इन नॉन-लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों में करीब 17,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी।

वैसे सरकार ने सबसे पहले वित्त वर्ष 2018 में जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के मर्जर की योजना सबके सामने रखी थी। 2018 के बजट में इस प्रस्ताव का ऐलान भी किया गया था, लेकिन तब इसे कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। हालांकि अब जानकारी मिल रही है कि, सरकार इसी योजना पर दोबारा आगे बढ़ रही है।


एक अनुमान के मुताबिक, बीमा नियामक IRDAI के नियमों को पालन करने के लिए सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को करीब 25,000 करोड़ रुपये की जरूरत हो सकती है। खासतौर से सॉल्वेंसी से जुड़ी शर्तों को पूरा करने के लिए इस पूंजी की जरूरत है।

रेटिंग एजेंसी ICRA की कुछ समय पहले एक रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि न्यू इंडिया एश्योरेंस को छोड़कर, बाकी इंश्योरेंस कंपनियों को मार्च 2025 तक सॉल्वेंसी शर्तों को पूरा करने के लिए करीब 9,500 से 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत हो सकती है।

इसके अलावा इस सेक्टर में घाटा या कम मुनाफा भी एक चुनौती बना हुआ है। अगर कायाकल्प की योजना पर सरकार आगे बढ़ती है तो उसे इस समस्या का हल भी निकालना पडे़गा। अभी हालिया जून तिमाही में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को 293 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। हालांकि न्यू इंडिया एश्योरेंस मुनाफे में रही थी। अभी यह देखना बाकी है कि लिस्टेड और नॉन-लिस्टेड कंपनियों के बीच मर्जर की योजना को कैसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।

सरकार नई पूंजी डालकर और बिजनेस रिकवरी के जरिए जिन 3 कंपनियों की कारोबारी सेहत को बेहतर बनाना चाहती है, उसमें ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस शामिल हैं।

अब आते हैं इन कंपनियों के मार्केट शेयर पर। सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का मार्केट शेयर लगातार घट रहा है। वित्त वर्ष 2024 में इन कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी घटकर 31.18 पर्सेंट पर आ गई, जो इसके पिछले साल 32.27 फीसदी थी। वहीं दूसरी ओर प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर इस दौरान 53.52 पर पहुंच गई, जो एक साल पहले 51.36 फीसदी थी।

अब सारी उम्मीदे इस पर हैं कि केंद्र सरकार इन कंपनियों के कायाकल्प के लिए क्या कदम उठाती है? हाल के कुछ सालों में सरकार ने जैसे बैकिंग, रेलवे और कई दूसरे सेक्टर की PSU कंपनियों को फोकस में लाया है, उसे देखते हुए निवेशकों की उम्मीदें तो काफी बढ़ी हुई हैं।

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