शंघाई और शेंझेन स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड टॉप की 300 कंपनियों के उतार-चढ़ाव को मापने वाले CSI 300 Index में 10 ही दिनों में 35 फीसदी की तेजी आई थी। इस तेजी का फायदा उठाते हुए हेज फंडों ने रिकॉर्ड संख्या में इस हफ्ते की शुरुआत में चाइनीज शेयर बेच डाले। हालांकि अब रेनेसेंस मैक्रो रिसर्च के को-फाउंडर और सीईओ जेफ डीग्राफ (Jeff deGraaf) के मुताबिक उन्हें पछतावा हो रहा है। जेफ डीग्राफ का कहना है कि अपने तीन दशकों के वॉल स्ट्रीट करियर में उन्होंने इतनी सही स्थिति कभी नहीं देखी है जो एक लंबे उछाल के लिए अनुकूल हो।
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि संदेह, वैल्यूएशन, राहत पैकेज, मोमेंटम और ट्रेंड चेज; हर चीजें मौजूद हैं। इसी के चलते लेहमन ब्रदर्स और मेरिल लिंच जैसे दिग्गज एनालिस्ट्स अब चीन पर बहुत अधिक बुलिश हैं और उनका अनुमान है कि चाइनीज मार्केट एक साल में 50 फीसदी से अधिक उछल सकता है। इसका मतलब है कि CSI 300 इंडेक्स 6 हजार के पार पहुंच सकता है जोकि अभी 4000 के नीचे ही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव से रिस्क कम
जेफ के मुताबिक स्टॉक मार्केट के निचले स्तर पर जाने के बाद चीन ने आक्रामक तरीके से मौद्रिक नीतियों में ढील दी, यह कोई संयोग नहीं है। उन्होंने कहा कि मार्केट को जितना पॉलिसी का सपोर्ट मिलता है, उतना ही पॉलिसी भी मार्केट को प्रभावित करते हैं। हालांकि उन्होंने निवेशकों को स्टॉप लॉस लगाने की भी सलाह दी है और चीन पर दांव लगाने को लेकर कट्टर नहीं बनने को कहा है। फिलहाल ट्रेडर्स शनिवार को चीन के वित्त मंत्रालय की ब्रीफिंग का इंतजार कर रहे हैं। लेहमन के पूर्व चीफ टेक्निकल एनालिस्ट ने इस बात के खतरे को अभी कम किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से चाइनीज शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव दिख सकता है। जेफ का कहना है कि इसका अधिक असर नहीं पड़ेगा और अगर कोई गिरावट आती है तो निवेश के मौके के तौर पर देखा जा सकता है।
चीन की तेजी का भारतीय स्टॉक मार्केट पर कितना असर?
जब चीन का स्टॉक मार्केट धड़ाधड़ ऊपर चढ़ रहा था तो उस समय इजराइल और ईरान के बीच जंगी माहौल से मिडिल ईस्ट में भी तनाव काफी चरम पर था। इन दोनों ने मिलकर भारतीय स्टॉक मार्केट को करारा झटका दिया था क्योंकि माना जा रहा था कि निवेशक यहां के बाजार से पैसे निकालकर चीन के बाजार में ले जा रहे हैं। मनीकंट्रोल ने मार्केट एक्सपर्ट्स के बीच जो पोल कराया, उनमें अधिकतर का मानना है कि भारतीय स्टॉक मार्केट अपने हाई वैल्यूएशन के चलते मात खा रहा है और यह 20 फीसदी टूट सकता है। वहीं कुछ ने कंपनियों के कमजोर नतीजे को भी जिम्मेदार ठहराया।