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20% टूट सकता है Nifty? क्या कहना है एक्सपर्ट्स का? चीन के स्टॉक मार्केट को किन बातों से मिल रहा सपोर्ट?

Nifty Outlook: घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) पहले ही अपने हाई से 5 फीसदी टूट चुके हैं लेकिन कुछ का मानना है कि अभी 20 फीसदी की गिरावट और आ सकती है। इसे चाइनीज स्टॉक मार्केट से कड़ी चुनौतियां मिल रही हैं, जहां कई फैसलों से जमकर पैसा बरस रहा है। जानिए निफ्टी को लेकर एक्सपर्ट्स का क्या मानना है और चीन में किन फैसलों से मार्केट को सपोर्ट मिला है?

अपडेटेड Oct 07, 2024 पर 11:54 AM
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मनीकंट्रोल के पोल में शामिल 48 फीसदी ने माना कि निफ्टी इस साल के आखिरी में 25000 से 27000 के बीच बंद हो सकता है। वहीं 32 फीसदी का मानना है कि निफ्टी इस साल के आखिरी में 23000 से 25000 के बीच और 16 फीसदी का मानना है कि 23000 के नीचे बंद हो सकता है।

Nifty Outlook: पिछले महीने घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) धड़ाधड़ नई ऊंचाईयों को छू रहे थे। 27 सितंबर को सेंसेक्स 86000 के लेवल से महज 22 प्वांट्स दूर रह गया था और निफ्टी 26275 के पार चला गया था। हालांकि फिर मिडिल ईस्ट में गहराते तनाव और चीन में राहत पैकेजों के ऐलान ने मार्केट पर दबाव डाला। अब निफ्टी 25000 और सेंसेक्स 82000 के भी नीचे है। हालांकि लीजेंडरी फंड मैनेजर पीटर लिंच के मुताबिक मार्केट की गिरावट के लिए अगर आप तैयार नहीं हैं तो आपको शेयर खरीदने ही नहीं चाहिए। उनका मानना है कि इस गिरावट को अच्छा समझना चाहिए क्योंकि इससे निवेशकों को लॉन्ग टर्म के लिए अच्छे शेयरों को सस्ते भाव में खरीदने का मौका मिलता है। मार्केट की इस उतार-चढ़ाव में लॉन्ग टर्म निवेशकों को एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट का मानना है कि मार्केट की गिरावट से घबराना नहीं चाहिए बल्कि इसे अच्छी कंपनियों में बेहतर भाव पर निवेश के मौके के तौर पर देखना चाहिए।

अभी और कितना टूट सकता है मार्केट?

मनीकंट्रोल ने मार्केट एक्सपर्ट्स के बीच जो पोल कराया, उसमें अधिकतर का मानना है कि भारतीय स्टॉक मार्केट अभी काफी महंगा है और इसमें 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। सेंसेक्स और निफ्टी पहले ही अपने हाई से 5 फीसदी टूट चुके हैं लेकिन कुछ का मानना है कि अभी 20 फीसदी की गिरावट और आ सकती है। 52 फीसदी का मानना है कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन और चीन के राहत पैकेजों के चलते घरेलू मार्केट में दबाव दिख सकता है। इस पोल में दो दर्जन मार्केट एक्सपर्ट्स शामिल हुए जिसमें एनालिस्ट्स से लेकर ट्रेडर्स, फंड मैनेजर्स से लेकर एडवाइजर्स हैं।


64 फीसदी का मानना है कि भारतीय मार्केट अभी महंगा है और 36 फीसदी इसे सही भाव पर बता रहे हैं लेकिन खास बात है कि किसी ने इसे सस्ता नहीं कहा है। भारतीय मार्केट को रिस्क की बात करें तो 44 फीसदी का मानना है कि इसे हाई वैल्यूएशन का रिस्क है तो 36 फीसदी ने कंपनियों के कमजोर नतीजे और 20 फीसदी ने जियो-पॉलिटिकल टेंशन को रिस्क बताया है।

पोल में 48 फीसदी ने माना कि निफ्टी इस साल के आखिरी में 25000 से 27000 के बीच बंद हो सकता है। वहीं 32 फीसदी का मानना है कि निफ्टी इस साल के आखिरी में 23000 से 25000 के बीच और 16 फीसदी का मानना है कि 23000 के नीचे बंद हो सकता है। सिर्फ 4 फीसदी का मानना है कि निफ्टी 27000 के पार पहुंचकर बंद हो सकता है। 72 फीसदी का मानना है कि मौजूदा लेवल से मार्केट 10 फीसदी गिर सकता है, 16 फीसदी का मानना है कि यह 10-20 फीसदी गिर सकता है जबकि 12 फीसदी का मानना है कि यह 20 फीसदी से अधिक गिर सकता है। आगे पैसे लगाने को लेकर 76 फीसदी का कहना है कि वे लॉर्ज कैप में पैसे लगाएंगे जबकि सिर्फ 24 फीसदी ने ही स्मॉलकैप या मिडकैप स्टॉक्स में पैसे लगाने की बात कही है

किन फैसलों ने भरी चीन के स्टॉक मार्केट में चाबी

दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा ने हाल ही में मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा था कि भारतीय स्टॉक मार्केट समय से अधिक स्पीड से दौड़ रहा है तो इसमें अब थोड़ी सुस्ती आ सकती है। पिछले एक साल से यह दुनिया भर में सबसे बेहतर परफॉरमेंस करने वाले मार्केट में शामिल था और यह इस दौड़ में लगभग अकेले ही था लेकिन अब इसे चीन से चुनौती मिल रही है। शंकर शर्मा के मुताबिक चीन इस दौड़ में आगे हो सकता है क्योंकि यहां काफी लंबे समय से बियर मार्केट था लेकिन भारतीय मार्केट मार्केट अब भी काफी मजबूत है तो आक्रामक होने की जरूरत नहीं है।

चीन ने इकनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने और अपने फाइनेंशियल मार्केट में भरोसा लौटाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अहम ब्याज दरों में कटौती की है और बैंकों के लिए रिक्वायर्ड रिजर्व रेश्यो (RRR) में 0.50 फीसदी की कमी की है जिससे अर्थव्यवस्था में करीब 14.2 हजार करोड़ डॉलर आएगा। स्टॉक मार्केट में जान डालने के लिए ब्रोकर्स के लिए करीब 7100 करोड़ डॉलर की स्वैप फैसिलिटी लाई गई। इसके अलावा लिस्टेड कंपनियों के शेयर बायबैक को सपोर्ट करने के लिए रीफाइनेंस का विकल्प दिया गया। इन सबके चलते महज 15 कारोबारी दिनों में चीन का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ डॉलर और हॉन्ग कॉन्ग का मार्केट कैप 1.2 लाख करोड़ डॉलर से अधिक बढ़ गया।

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