Circuit Filter Change: Bombay Stock Exchange (BSE) ने 10 नवंबर 2025 से 36 कंपनियों के शेयरों पर नए प्राइस बैंड (Revised Price Band) यानी सर्किट लिमिट लागू करने का फैसला किया है। इसका मकसद उन शेयरों की असामान्य ट्रेडिंग गतिविधियों पर नियंत्रण रखना है, जिनकी कीमत या वॉल्यूम में अचानक तेज उतार-चढ़ाव देखा जाता है।
ऐसे मामलों में एक्सचेंज अपने सर्विलांस मैकेनिज्म के तहत कदम उठाता है। जरूरत पड़ने पर प्राइस बैंड यानी सर्किट लिमिट 2%, 5% या 10% तक घटा सकता है। अगर रिस्क ज्यादा है, तो एक्सचेंज सर्किट लिमिट को 1% और ट्रेडिंग को हफ्ते में 1 बार तक कर सकता है।
BSE के सर्विलांस उपाय क्या होते हैं?
BSE सिर्फ प्राइस बैंड कम करने तक सीमित नहीं रहता। इसके तहत किसी शेयर को ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट में भेजना, स्पेशल मार्जिन लागू करना या जरूरत पड़ने पर किसी शेयर या मेंबर को सस्पेंड करना भी शामिल है।
प्राइस बैंड इसलिए तय किया जाता है ताकि किसी स्टॉक की कीमत एक ही दिन में अचानक बहुत ज्यादा न बढ़े या गिरे। अगर किसी शेयर में असामान्य वोलैटिलिटी देखी जाती है, तो उस पर और कड़ा प्राइस बैंड लगा दिया जाता है।
स्पेशल मार्जिन कब लागू होता है?
जब किसी स्टॉक की कीमत या उसके ट्रेडिंग वॉल्यूम में अचानक तेज उछाल आता है, तब BSE उस पर स्पेशल मार्जिन लगा सकता है। यह मार्जिन 25%, 50% या 75% तक हो सकता है। इसका मकसद अफवाहों, सर्किट-बेस्ड तेजी या गलत जानकारी के कारण होने वाले जोखिम से निवेशकों को बचाना है।
BSE Revised Circuit Filter List (10 नवंबर 2025 से लागू)
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।