वर्तमान तिमाही के नतीजों पर नजर डालें तो इसकी सबसे खास बात ये रही है कि इसमें कैपेक्स साइकिल में तेजी आने के साफ संकेत दिखाई दिए हैं। चौथी तिमाही के नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश इंडस्ट्रियल कंपनियों के ऑर्डर बुक काफी मजबूत हैं। ये आगे अर्निंग में और मजबूती आने का साफ संकेत है। ये बातें एलआई म्यूचुअल फंड असेट मैनेजमेंट के दीक्षित मित्तल ने मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में कही हैं। उन्होंने आगे कहा कि तमाम कंपनियों खासकर कंज्यूमर सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के मार्जिन पर दिखने वाला दबाव अब बॉटम पर है। वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही से हमें इन कंपनियों के मार्जिन में सुधार दिखने की उम्मीद है।
इंडस्ट्रियल, गैर जरूरी खपत और केमिकल सेक्टर पर बुलिश
कैपिटल मार्केट का 16 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले दीक्षित मित्तल ने इस बातचीत में आगे कहा कि एलआईसी एमएफ फाइनेंशियल, इंडस्ट्रियल, गैर जरूरी खपत और केमिकल जैसे एक्सपोर्ट आधारित सेक्टर को लेकर बुलिश है।
चौथी तिमाही के नतीजों पर बात करते हुए दीक्षित ने कहा कि इस अवधि मे कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक ही रहा है। हालांकि हर सेक्टर में कुछ अपवाद देखने को मिले हैं। इस अवधि में बीएफएसआई ऑटो, ऑयल और इंडस्ट्रियल सेक्टर की कंपनियों को नतीजे अच्छे रहे हैं। जबकि आईटी एफएमसीजी गैर जरूरी खर्च वाले सेक्टर पर दबाव देखने को मिला है। बीएफएसआई सेक्टर में भी बैंक आउटपरफॉर्मर रहे हैं। अधिकांश बैंकों के मार्जिन और असेट क्वालिटी दोनों में सुधार देखने को मिला है।
आटो और एंसिलरी सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर एक सिक्लिकल सेक्टर (इकोनॉमी के उतार-चढ़ाव से जुड़ा सेक्टर) है। आगे इसका प्रदर्शन मिलाजुला रहने की संभावना है। हालांकि पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट ने प्री कोविड लेवल को पार कर लिया है। लेकिन टू-व्हीलर खासकर 110 सीसी से नीचे की कैटेगरी अभी भी दबाव में है। इसके साथ ही जियोपॉलिकटल मुद्दों के कारण भी टू व्हीलर के एक्सपोर्ट में परेशानी रही है। कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट भी सिक्सिकल होता है। इस समय इसमें तेजी देखने को मिल रही है। हालांकि अगले 2-3 साल के नजरिए से कमर्शियल व्हीकल को लेकर कोई भविष्यवाणी करना आसान नहीं है।
क्या जून मीटिंग में आरबाई अपनी नीतियों में बदलाव करेगा
इस सवाल का जवाब देते हुए दीक्षित मित्तल ने कहा कि आरबाई ने अपनी पिछली बैठक में दरों में बढ़ोतरी पर विराम लगा दिया है। अब आगे आरबीई का रवैया ग्रोथ और महंगाई के आंकड़ों पर निर्भर करेगा। हालांकि ब्याज दरें पहले से ही अपने पीक पर पहुंच चुकी हैं। अब इसमें ज्यादा बढ़त की संभावना नहीं है।
क्विक सर्विस रेस्ट्रांट (QSR)पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्टेपल्स और QSR दोनों सेगमेंट की मांग में महंगाई का दबाव देखने को मिल रहा है। लेकिन हमारा मनना है कि यह दबाव अस्थाई है। वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही से इस सेक्टर में मांग बढ़त देखने को मिलेगी। ऐसे में इन दोनों सेक्टरों में आगे अच्छी ग्रोथ की संभावना है। लेकिन QSR सेक्टर की पहुंच अभी भी हमारे देश में कम है। ऐसे में QSR कंपनियों के लिए ग्रोथ के लिए बड़ा मैदान पड़ा हुआ है। वहीं स्टेपल में आगे प्रीमियमाइजेशन मेन ग्रोथ ड्राइवर साबित होगा।
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