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Cochin Shipyard OFS: रिकॉर्ड ऊंचाई से 50% गिर चुका है शेयर, क्या आपको कोचिन शिपयार्ड के ओएफएस में निवेश करना चाहिए?

कोचिन शिपयार्ड के शेयर की कीमत करीब एक साल पहले400 रुपये थी। यह इस साल जुलाई में 3,000 रुपये के करीब पहुंच गई। शेयरों की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर होने पर इसकी वैल्यूएशन FY26 की अनुमानित अर्निंग्स की 84 गुना थी। इसके बाद शेयरों में गिरावट देखने को मिली

अपडेटेड Oct 17, 2024 पर 4:40 PM
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OFS के पहले दिन इसमें संस्थागत निवेशकों की अच्छी दिलचस्पी देखने को मिली।

स्टॉक मार्केट ने कोचिन शिपयार्ड की ग्रोथ की संभावनाओं का सही अंदाजा लगाने में देर कर दी। इस वजह से अचानक कंपनी के शेयरों में तेजी देखने को मिली, जिसने मार्केट को चौंकाया। शुरुआत में नए ऑर्डर और ऑर्डर पूरे होने की रफ्तार की वजह से निवेशक इस स्टॉक को लेकर सावधानी बरत रहे थे। लेकिन, पिछली कुछ तिमाहियों में कंपनी के नतीजे काफी अच्छे रहे हैं। FY24 के दौरान कंपनी की अर्निंग्स प्रति शेयर (ईपीएस) करीब तीन गुनी ग्रोथ दिखी है। इससे कंपनी की ग्रोथ शानदार रहने का संकेत मिलता है।

जुलाई में 3000 रुपये पहुंच गया था शेयरों का भाव

कोचिन शिपयार्ड (Cochin Shipyard) के बेहतर प्रदर्शन से इसके शेयरों की रिरेटिंग हुई । इसके शेयरों में जबर्दस्त उछाल आया। करीब एक साल पहले शेयर की कीमत 400 रुपये थी, जो बढ़कर इस साल जुलाई में 3,000 रुपये के करीब पहुंच गई। शेयरों की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर होने पर इसकी वैल्यूएशन FY26 की अनुमानित अर्निंग्स का 84 गुना थी। इसके बाद शेयरों में गिरावट देखने को मिली। 17 अक्टूबर को शेयर का प्राइस गिरकर 1,559 रुपये पर आ गया। कंपनी ने ओएफएस का ऐलान किया है।


ओएफएस के लिए प्रति शेयर 1,540 रुपये कीमत

कंपनी की वैल्यूएशन में कमी आई है। यह FY26 की अनुमानित अर्निग्स के 40 गुना पर आ गया है। यह ओएफएस में तय शेयर की कीमत का 39 गुना है। सरकार ओएफएस के जरिए अपनी 5 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचेगी। इसके लिए प्रति शेयर कीमत 1,540 रुपये होगी। ओफएस के ऐलान से पहले कंपनी के शेयर की कीमत 1,668 रुपये थी। इसका मतलब है कि सरकार ने ओएफस के लिए करीब 7-8 फीसदी का डिस्काउंट दिया है।

कंपनी के लिए ग्रोथ की अच्छी संभावनाएं

बिजनेस के लिहाज से कंपनी का प्रदर्शन अच्छा है। जहाज बनाने और जहाज की रिपेयरिंग से जुड़े बिजनेस की ग्रोथ अच्छी रहने की उम्मीद है। शिप बिल्डिंग कंपनी का मुख्य बिजनेस है, जिसका प्रदर्शन अच्छा है। इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ साल दर साल आधार पर 62 फीसदी रही। शिप रिपेयर बिजनेस की रेवेन्यू ग्रोथ 63 फीसदी रही। कंपनी के कुल रेवेन्यू में इस बिजनेस की हिस्सेदारी 35 फीसदी है। इस दौरान कंपनी का प्रॉफिट 77 फीसदी बढ़ा।

नए शिप बिल्डिंग और शिप रिपेयरिंग फैसिलिटी से ग्रोथ को सपोर्ट

कंपनी ने इस फाइनेंशियल ईयर में रेवेन्यू ग्रोथ 20-25 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इसकी वजह यह है कि कंपनी की ऑर्डरबुक स्ट्रॉन्ग रहने की उम्मीद है। अभी ऑर्डरबुक करीब 22,000 करोड़ रुपये का है, जो इसके सालाना रेवेन्यू का पांच गुना है। कंपनी की ग्रोथ आगे भी स्ट्रॉन्ग बने रहने की उम्मीद है। कंपनी को इंडिया और यूरोप दोने से नए ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। कंपनी की नई शिप बिल्डिंग फैसिलिटी में 12 अगस्त, 2024 से काम शुरू हो गया है। नई शिप बिल्डिंग यूनिट के इस साल अक्टूबर तक बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है।

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क्या आपको ओएफएस में निवेश करना चाहिए?

OFS के पहले दिन इसमें संस्थागत निवेशकों की अच्छी दिलचस्पी देखने को मिली। कंपनी की वैल्यूएशन में हाल में कमी आई है। कंपनी की ऑर्डर बुक स्ट्रॉन्ग है। कंपनी क्षमता बढ़ा रही है। कमर्शियल और एक्सपोर्ट मार्केट में कंपनी के लिए अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। ऐसे में रिस्क-रिवॉर्ड रेशियो अट्रैक्टिव दिख रहा है।

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