मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इस महीने की शुरुआत में 6 अगस्त को इनवेस्टमेंच एडवाइजर्स (IAs) और रिसर्च एनालिस्ट्स (RAs) के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को एक कंसल्टेशन फ्रेमवर्क जारी किया था। सेबी का लक्ष्य है कि इनकी सर्विसेज को बढ़ावा मिले और अधिक से अधिक लोगों तक इनकी पहुंच हो। अब इसे लेकर जीरोधा ने सेबी से पूछा है कि क्या ग्राहकों से फीस वसूलने की बजाय सीधे उनके एसेट्स से एडवायजरी फीस कलेक्ट कर सकते हैं? जीरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत ने का कहना है कि अगर हर महीने एडवायजरी फीस ली जाए और किसी महीने मार्केट का परफॉरमेंस खराब रहे तो उस महीने के एडवाजरी फीस को कैसे सही ठहराया जाएगा। उन्होंने ये बातें 30 अगस्त को ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में कही।
Zerodha की कॉम्पटीटर Groww का क्या कहना है?
जीरोधा की कॉम्पटीटर ग्रो के फाउंडर और सीईओ हर्ष जैन का कहना है कि अगर निवेश की सलाह अच्छी है तो इसकी लागत होगी ही। उन्होंने आगे कहा कि अब समय बदल रहा है और ग्राहक अच्छी एडवायजरी सर्विसेज के लिए पैसे देने के लिए तैयार हो रहे हैं।
भारत में निवेश सलाहकारों की पैठ अभी काफी कम है। देश में हर दस लोगों पर निवेश सलाहकारों का अनुपात अमेरिका की तुलना में बहुत कम है, जिसके कारण बिना रजिस्टर्ड वाली संस्थाएं तेजी से फैल रही हैं। ये गैर-रजिस्टर्ड संस्थाएं IAs और RAs के रूप में काम कर रही हैं। ऐसे में सेबी की कोशिश हैं कि इन्हें नियमों के दायरे में लाया जाए और इसके लिए नियम आसान बनाए जाएं ताकि अधिक से अधिक लोग आसानी से IAs और RAs के रूप में खुद को रजिस्टर कर सकें।