भारतीय शेयर बाजार नया शिखर छूने को तैयार है। मिडकैप-स्मॉलकैप इंडेक्स तो रिकॉर्ड हाई पर पहुंच चुके हैं। ऑटो, बैंक और FMCG इंडेक्स भी नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। अगर गौर से देखें तो चौथी तिमाही में सबसे शानदार नतीजे बैंकिंग और फाइनेंस कंपनियों ने दिए हैं। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं की क्या यह शानदार सफर आगे भी जारी रहेगा? इसका जवाब शायद CRISIL के पास है। क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट कहती है कि NBFCs और माइक्रो फाइनेंस कंपनियां चालू वित्तीय साल में भी सुपरस्टार परफॉर्मेंस देंगी। NBFCs और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों में CRISIL ने ऐसा क्या देखा है,आज इसी पर Crisil के सीनियर डायरेक्टर और चीफ रेटिंग ऑफिसर कृष्णन सीतारमण ने सीएनबीसी-आवाज़ के साथ एक लंबी बातचीत की है। यहां हम इसी बातचीत का संपादित अंश दे रहे हैं।
माइक्रो फाइनेंस: ऑल इज वेल
इस बातचीत में कृष्णन सीतारमण ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस के लिए स्थितियां अनुकूल नजर आ रही हैं। वित्त वर्ष 2024 में NBFCs और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की एसेट क्वालिटी और मुनाफे में सुधार होगा। आगे माइक्रो फाइनेंस की क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होगी और कंपनियों की तरफ से लोन देने की रफ्तार बढ़ेगी। इन कंपनियों को रिस्क बेस्ड लोन प्राइसिंग से मुनाफे में सपोर्ट मिलेगा। क्रेडिट अंडरराइटिंग में सुधार से भी इनको फायदा होगा। आगे इन कंपनियों की मार्जिन सुधरेगी और इनकी लागत में कमी आएगी।
माइक्रो फाइनेंस को कम लागत से मिलेगा बूस्ट
कृष्णन सीतारमण ने इस बातचीत में आगे कहा कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की लागत लगातार लागत कम हो रही है। पिछले 12-15 महीने में इनकी क्रेडिट कॉस्ट 2-2.5 फीसदी घटी है। इनकी कलेक्शन एफीशियंसी भी 98-99 फीसदी पर है। क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एयूएम में 25-30 फीसदी ग्रोथ का अनुमान है।
NBFCs और माइक्रो फाइनेंस पर क्या कहती है क्रिसिल की रिपोर्ट
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा है कि माइक्रो फाइनेंस के अच्छे दिन दिखने शुरू हो गए हैं। वित्त वर्ष 2024 में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एयूएम में 25-30 फीसदी ग्रोथ का अनुमान है। मार्च 2023 तक माइक्रो फाइनेंस का AUM 3.4 लाख करोड़ रुपए था। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में माइक्रो फाइनेंस की लोन ग्रोथ 10-15 फीसदी रह सकती है। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मार्च 2020 तक माइक्रो फाइनेंस का मार्केट शेयर 31 फीसदी था जो दिसंबर 2022 में 7 फीसदी की बढ़त के साथ 38 फीसदी पर आ गया।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि माइक्रो फाइनेंस के AUM में 5 राज्यों से 50 फीसदी योगदान आता है। इसमें भी बिहार का योगदान 12.7 फीसदी, तमिलनाडु का योगदान 11.1 फीसदी और कर्नाटक का योगदान10 फीसदी है।
माइक्रो फाइनेंस: एसेट क्वालिटी सुधरी
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के वर्षों में माइक्रो फाइनेंस की एसेट क्वालिटी में सुधार देखने को मिला है। सितंबर 2021 में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की GNPA 13 फीसदी पर थी। ये दिसंबर 2022 में घटकर 6 फीसदी पर आ गई। जबकि मार्च 2023 में 3 फीसदी पर रही।
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया है कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के मुनाफे में भी बढ़त देखने को मिली है। साल 2021 में कंपनी के मुनाफे में 1 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली थी। 2022 और 2023 में भी यही ग्रोथ रेट कायम रही। लेकिन वित्त वर्ष 2024 में इनके मुनाफे में 3 फीसदी ग्रोथ का अनुमान है। माइक्रो फाइनेंस कंपनियों कम लागत से भी बूस्ट मिल रहा है। वित्त वर्ष 2020-22 में इनकी कर्ज लागत 4-5 फीसदी पर थी जो वित्त वर्ष 2023 के 9 महीनों में 3-3.5 फीसदी पर रही। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए, महंगाई, बढ़ती ब्याज दरें और ग्लोबल मंदी आगे परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
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