Paint stocks : पेंट कंपनियों और टायर कंपनियों जैसे कच्चे तेल पर निर्भर कंपनियों के शेयरों में सोमवार,5 मई को उछाल देखने को मिला है। आपूर्ति की अधिकता की चिंताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतों में काफी गिरावट आई है। इसका फायदा पेंट कंपनियों और टायर कंपनियों को मिलने की उम्मीद है। बता दें कि कच्चे तेल की कम कीमतों में गिरावट से एशियन पेंट्स जैसी पेंट कंपनियों की उत्पादन लागत में गिरावट आती है। इसकी वजह ये है कि पेंट बनाने में 300 से अधिक कच्चेमाल की जरूरत होती है,जिनमें से अधिकांश पेट्रोलियम पर आधारित होती हैं।
भारत अपनी 85 फीसदी कच्चे तेल की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत को फायदा होगा। साथ ही कच्चे तेल के डेरिवेटिव का इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्रीज को भी इसका फायदा होगा। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से एशियन पेंट्स जैसी पेंट और टायर कंपनियों की लागत घटती है और इनके ग्रॉस मार्जिन और मुनाफे में बढ़त होती है। अगर यह ट्रेंड जारी रहता है तो ये कंपनियां उपभोक्ताओं के आकर्षित करने के लिए कीमतों में भी फेरबदल कर सकती हैं।
ओपेक+ की तरफ से उत्पादन बढ़ाने के फैसले के बाद सप्लाई बढ़ने की चिंताओं के कारण तेल की कीमतों में गिरावट आई है। ओपेक और उसके सहयोगियों द्वारा यह फैसला शनिवार को हुईएक बैठक में लिया गया। ऐसे समय में तेल की सप्लाई में बढ़त हुई है जब ट्रेडवार के कारण मांग पर पहले से ही दबाव बना हुआ है। कारोबारी हफ्ते के शुरुआत में ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट 4.6 फीसदी गिरकर 58 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 56 डॉलर के करीब कारोबार कर रहा है।
मॉर्गन स्टेनली ने बाकी बचे साल के लिए ब्रेंट के अनुमानों में कटौती कर दी है। उसका मानना है कि 2025 की दूसरी छमाही के दौरान ब्रेंट 60 डॉलर के आसपास कारोबार करेगा।
सुबह 10 बजे के आसपास एशियन पेंट्स के शेयर 2.3 प्रतिशत बढ़कर 2,466 रुपये प्रति शेयर पर दिख रहे थे। वहीं,बर्जर पेंट्स का शेयर एनएसई पर 1.6 फीसदी बढ़कर 552 रुपये पर कारोबार कर रहा था। कंसाई नेरोलैक के शेयर एनएसई 0.7 फीसदी बढ़कर 256.55 रुपये पर कारोबार कर रहे था। एमआरएफ, अपोलो टायर्स, जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज जैसी टायर कंपनियों के शेयरों में भी 1.5 से 3 फीसदी तक की तेजी आई थी।
कच्चे तेल की कीमतें का पेंट इंडस्ट्री पर काफी ज्यादा असर देखने को मिलता है। पेंट के उतपादन के लिए 300 से अधिक चीजों की आवश्यकता होती है,जिनमें से अधिकांश पेट्रोलियम आधारित हैं। कच्चे माल की लागत इनपुट लागत की 55-60 फीसदी होती है और यह सीधे इन कंपनियों के ग्रॉस मार्जिन को प्रभावित करती है।
ब्रेंट क्रूड टायर बनाने में इस्तेमाल होने वाले सिंथेटिक रबर और अन्य पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स भी एक बड़ा स्रोत है। जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं,इन कच्चे माल की लागत बढ़ती है। इससे टायर कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ती है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से टायर कंपनियों के कच्चे माल की लागत कम होगी। इससे टायर कंपनियों के मार्जिन में बढ़त होगी।