वर्तमान अनिश्चिचता भरे महौल में भारतीय बाजार दुनिया को दूसरे बाजारों की तुलना में निवेश और ग्रोथ के ज्यादा अच्छे अवसर दे रहा है। ये बातें Right Horizons PMS के अनिल रेगो ने मनीकंट्रोल को दिए गए इंटरव्यू में कही हैं। फाइनेंशियल मार्केट में निवेश का 3 दशकों से ज्यादा का अनुभव रखने वाले अनिल रेगो का मानना है कि डिलीवरेज्ड कॉर्पोरेट सेक्टर और वेल-कैपिटलाइज्ड और मुनाफे वाला बैंकिंग सेक्टर देश में टिकाऊ इकोनॉमिक रिकवरी के लिए शुभ संकेत है। हालांकि 5 ऐसे फैक्टर हैं जो बाजार के लिए लगातार जोखिम बनाए रख सकते हैं। इसमें महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, मांग में मंदी या कमजोर त्योहारी मांग, कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव और दुनिया भर की बड़ी इकोनॉमीज में संभावित मंदी का डर जैसे फैक्टर शामिल हैं।
निवेश के नजरिए से कहां हो नजर? इस सवाल का जवाब देते हुए अनिल ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में बैंकों का ऑपरेटिव परफार्मेंस अच्छा रहा है। इस अवधि में बैंकों के एडवांसेज में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। साथ ही क्रेडिट लागत में गिरावट देखने को मिली है। आगे हमें रिटेल, बिजनेस बैंकिंग और SME सेगमेंट में आने वाली तेजी को देखकर बैंकिंग सेक्टर में मजबूती कायम रहने की उम्मीद है।
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि ऑटो जैसा सिक्लिकल सेक्टर तीन सालों की मंदी के बाद अब तेजी में आता नजर आ रहा है। इसे बढ़ती मांग का फायदा मिल रहा है। उम्मीद है कि त्योहारी सीजन में ऑटो के सभी सेगमेंट में अच्छी मांग देखने को मिलेगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल के कारोबार में तेजी के साथ ही ऑटो सेक्टर की ग्रोथ में और मजबूती आ सकती है। ऐसे में हमें कई ऑटो और ऑटो एन्सिलरी शेयरों से मल्टीबैगर प्रदर्शन की उम्मीद है।
केमिकल सेक्टर की बात करते हुए अनिल रेगो ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग, पर्सनल केयर, होम केयर इंडस्ट्री से स्पेशियालिटी केमिकल की भारी मांग आ रही है। इसको देखते हुए तमाम केमिकल कंपनियां अपनी क्षमता में विस्तार कर रही हैं। इस सेक्टर को चाइन प्लस वन पॉलिसी का भी फायदा मिल रहा है। ऐसे में हमें केमिकल सेक्टर में कमाई के अच्छे मौके मिलेंगे।
वैश्विक आर्थिक चिंताओं के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की तरफ से भारतीय इक्विटी में 30 बिलियन डॉलर से अधिक की बिक्री देखने को मिली है। FII जुलाई 2022 में शुद्ध खरीदार रहे हैं और अगस्त के महीने में भी इनकी खरीदारी जारी रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और अशांति और अनिश्चितता भरे इस महौल में भीआगे बढ़ रही है। जैसे-जैसे ग्लोबल सेंट्रल बैंक ब्याज दरें बढ़ाने में कम आक्रामक होते जाएंगे, उम्मीद है कि FII की तरफ से आने वाले पैसे में और बढ़त देखने को मिलेगी। हालांकि अगर ग्लोबल इकोनॉमी में कोई अप्रत्याशित घटना हो जाती है तो भी हमारी इस उम्मीद पर पानी फिर सकता है।
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