Daily Voice : ऊंची ब्याज दरों का देर से दिखने वाला असर जियोपोलिटिकल संकट से भी बड़ा खतरा - मार्क मैथ्यूज

Daily Voice : अमेरिका में मंदी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मार्क मैथ्यूज ने कहा कि अर्थशास्त्री अमेरिकी इकोनॉमी के लिए परेशानी का अनुमान लगा रहे हैं। लेकिन पूर्वानुमान लगाने का उनका ट्रैक रिकॉर्ड खराब है। उदाहरण के तौर पर, अधिकांश अर्थशास्त्रियों को इस वर्ष मंदी आने की आशंका थी, फिर भी कोई मंदी नहीं आई। अमेरिका में प्राइवेट सेक्टर सरप्लस जीडीपी के 7 फीसदी पर है

अपडेटेड Nov 14, 2023 पर 5:42 AM
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Daily Voice : मार्क मैथ्यूज का मानना है कि दुनिया भर की तमाम अर्थव्यवस्थाओं के लिए उच्च ब्याज दरों का देर से दिखने वाला असर जियोपोलिटिकल संकट की तुलना में भी बड़ा खतरा है

Daily Voice : जूलियस बेयर के मार्क मैथ्यूज का मानना है कि दुनिया भर की तमाम अर्थव्यवस्थाओं के लिए उच्च ब्याज दरों का देर से दिखने वाला असर जियोपोलिटिकल संकट की तुलना में भी बड़ा खतरा है। मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि आम तौर पर अर्थव्यवस्था में उच्च दरों असर दिखने में लगभग एक साल का समय लगता है। कॉर्पोरेट, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में लगभग 27 सालों का अनुभव रखने वाले मार्क मैथ्यूज का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में भारत में अर्निंग ग्रोथ 20 फीसदी से ज्यादा थी। यह गति दूसरी छमाही में धीमी पड़ा जाएगी।। जिसके चलते वित्त वर्ष 2023-24 की कुल अर्निंग ग्रोथ लगभग 17 फीसदी रह सकती है। मैथ्यूज का कहना है कि बाकी दुनिया की अर्निंग ग्रोथ की तुलना में यह बहुत अच्छा आंकड़ा है।

इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में इस समय चल रही लड़ाई बाजार के लिए बुरी बात है। लेकिन हमें इस जियोपोलिटिकल संकट का असर चीन से बाहर बहुत ज्यादा खराब नजर नहीं आता। वास्तव में, जियोपोलिटिकल संकट वित्त बाजार में होने वाले निवेश पर कभी सीधा असर नहीं डालते। हालांकि आगे चल कर उनके अप्रत्यक्ष परिणाम हो सकते हैं। जियोपोलिटिक्स की तुलना में बाज़ारों के लिए ज्यादा बड़ा जोखिम अर्थव्यवस्थाओं पर उच्च ब्याज दरों का देर से होने वाला असर है। उच्च दरों का पूरा असर अर्थव्यवस्थाओं तक पहुंचने में आमतौर पर लगभग एक साल का समय लगता है।

अमेरिका में अगले साल मंदी की उम्मीद नहीं


अमेरिका में मंदी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मार्क मैथ्यूज ने कहा कि अर्थशास्त्री अमेरिकी इकोनॉमी के लिए परेशानी का अनुमान लगा रहे हैं। लेकिन पूर्वानुमान लगाने का उनका ट्रैक रिकॉर्ड खराब है। उदाहरण के तौर पर, अधिकांश अर्थशास्त्रियों को इस वर्ष मंदी की आने आशंका थी, फिर भी कोई मंदी नहीं आई। अमेरिकी में प्राइवेट सेक्टर सरप्लस जीडीपी के 7 फीसदी पर है। ऐसे में लगता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था "बैलेंस शीट मंदी" के विपरीत "बैलेंस शीट बूम" के करीब है। इसलिए हमें अगले साल मंदी की उम्मीद नहीं है। अगले साल अमेरिकी जीडीपी की ग्रोथ रेट 1.1 फीसदी रहने की उम्मीद है, जो इस साल 2.2 फीसदी से कम है। इसी तरह अगले वर्ष दुनिया की जीडीपी ग्रोथ रेट 2.4 फीसदी रहने की उम्मीद है, इस वर्ष 2.9 फीसदी से कम है।

अमेरिका में पहला रेट कट अगले साल सितंबर में मुमकिन

इस बातचीत में मार्क मैथ्यूज ने आगे कहा कि उनका मानना है कि अमेरिका में अंतिम रेट हाइक जुलाई में हुई थी और पहला रेट कट अगले साल सितंबर में होगा, इसके बाद 2025 के मध्य तक दरों में कई और कटौती की जाएगी और इसको 4.5 फीसदी पर लाया जाएगा।

2024 में मोदी सरकार की फिर से सत्ता में होगी वापसी

भारत पर बात करते हुए मार्क मैथ्यूज ने कहा कि अगले साल भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी पर रहने की उम्मीद है, जो कमोबेश आरबीआई के पूर्वानुमान के अनुरूप है। उन्होंने ये भी कहा कि 2024 में मोदी सरकार फिर से सत्ता में वापसी करती दिखेगी।

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मिड और स्मॉल-कैप अभी महंगे नहीं

भारतीय इक्विटी मार्केट पर बात करते हुए मार्क ने कहा कि मिड और स्मॉल-कैप में सालाना आधार पर 20-30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ऐसे यह सेगमेंट आम तौर पर महंगा दिख रहा है। लेकिन ब्रॉडर मार्केट में अब तक केवल 7 फीसदी के ग्रोथ हुई है, जो कि पहली छमाही की 21 फीसदी की अर्निंग ग्रोथ से काफी कम है। इसलिए इंडेक्स के लेवल पर भारतीय शेयर 19 गुना प्राइस/अर्निंग पर ट्रेड कर रहे हैं। ये इनके लॉन्ग टर्म एवरेज के मुताबिक है। इसलिए मिड और स्मॉल-कैप अभी महंगे नहीं है।

 

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First Published: Nov 14, 2023 5:39 AM

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