टेक्नोलॉजी स्टॉक में लगातार 4 कारोबारी सत्रों से गिरावट देखने को मिल रही है। मंगलवार यानी 23 अगस्त के कारोबार में टेक शेयर (IT) अपना 3 हफ्तों का निचला स्तर छूते नजर आए। हाई वैल्यूएशन और घटता मार्जिन टेक शेयरों की दुर्दशा के सबसे बड़े कारण माने जा रहे हैं। आईटी स्टॉक के वैल्यूएशन काफी ऊंचे स्तरों पर हैं। इसके अलावा दुनिया के तमाम विकसित देशों में आर्थिक मंदी के अनुमान के चलते कंपनियां आईटी पर होने वाला अपना खर्च घटा सकती हैं। ये कुछ ऐसी वजहें हैं जिनसे आईटी शेयरों को अभी और दर्द सहना पड़ सकता है। यह बातें मनीकंट्रोल के साथ एक इंटरव्यू में Elara Capital की भावना छाबरा ने कही हैं।
ग्लोबल इकोनॉमी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई बाजार और दुनिया भर की इकोनॉमी के लिए अभी भी सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। कमोडिटी की कीमतों में हाल में गिरावट तो आई है लेकिन यह कुछ सेगमेंट तक ही सीमित रही है जिससे बढ़ती महंगाई से आंशिक राहत ही मिली है। कुछ कमोडिटीज की कीमतें अभी भी काफी ऊंचे स्तर पर हैं जो ग्लोबल बाजार और इकोनॉमी को परेशान कर रही हैं।
भारतीय बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि 2 दिनों की गिरावट के पहले निफ्टी पिछले 35 दिनों में 12.5 फीसदी की तेजी दिखा चुका था। बाजार ने यह तेजी हाल में खत्म हुए नतीजों के मौसम में अर्निंग के मोर्चे पर कुछ खराब खबरों के बावजूद आई थी। इससे यह अंदाजा लगता है कि बाजार को इकोनॉमी में रिकवरी आने के उम्मीद है।
इस रिकवरी को बेहतर तरीके से समझने के लिए अलग-अलग सेक्टर के इंडेक्स देखने होंगे। आईटी इस कैलेंडर ईयर का अब तक का सबसे बड़ा अंडरपरफॉर्मर रहा है। वहीं ऑटो, एफएमसीजी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इससे यह साफ होता है कि बाजार के रुझान में बदलाव हो रहा है।
ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी के अनुमान के साथ ही आगे हमें ग्लोबल इकोनॉमी से जुड़े सेक्टरों पर दबाव देखने को मिल सकता है। वहीं घरेलू इकोनॉमी से जुड़े सेक्टरों में तेजी की संभावना है। ऐसे में हमें उन स्टॉक्स पर नजर रखनी चाहिए जो घरेलू खपत और इकोनॉमी से जुड़े हुए हों।
इस समय बाजार को सबसे ज्यादा उम्मीद घरेलू रिकवरी से है। हमारा मानना है कि अब बाजार इकोनॉमी में मांग की स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए अगामी त्योहारी सीजन में होने वाली बिक्री और खरीफ फसलों के उत्पादन पर नजर रखेगा। अगर मानसून अच्छा रहता है और खरीफ की फसल अच्छी रहती है तो पिछले 1 साल से दबाव में चल रहे ग्रामीण डिमांड में रिकवरी आती दिखेगी।
बाजार की आगे की चाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि घटती लिक्विडिटी और दुनिया में जागी जियोपॉलिटिकल तनाव को देखते हुए उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में इक्विटी मार्केट में कंसोलिडेशन देखने को मिलेगा और यह दायरे में घूमता नजर आएगा। हालांकि यह दायरा थोड़ा बड़ा हो सकता है।
इस बातचीत में उन्होंने कहा कि निवेश के नजरिए से वे बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर पर पॉजिटिव हैं और इनमें भी प्राइवेट बैंक और अच्छी रेटिंग वाले एनबीएफसी उनको ज्यादा बेहतर नजर आ रहे हैं।
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