Daily Voice : बाजार में रहेगा उतार-चढ़ाव, लेकिन इन 3 सेक्टरों में अभी भी बाकी है बहुत दम
जेएम फाइनेंशियल के आशीष चतुरमोहता का कहना है कि इक्विटी बाजार बांड बाजार में होने वाली हर क्रिया पर प्रतिक्रिया करते हैं। ऐसे में जब मूडीज ने अमेरिकी सिक्योरिटीज की रेटिंग घटा दी तो अमेरिकी बाजारों के लेकर सतर्क रहने का समय आ गया है
आशीष चतुरमोहता ने कहा कि वे डिफेंस,फाइनेंशियल और चुनिंदा पीएसयू शेयरों पर बुलिश बने हुए हैं। डिफेंस सेक्टर को मजबूत अनुकूल परिस्थितियों का फायदा मिल रहा है
जेएम फाइनेंशियल के आशीष चतुरमोहता ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि वे डिफेंस, फाइनेंशियल्स और चुनिंदा पीएसयू शेयरों पर तेजी का नजरिया बनाए हुए हैं। उनके मुताबिक डिफेंस सेक्टर में काफी पॉजिटिव माहौल देखने को मिल रहा है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के दौर में भारत द्वारा स्वदेशी रक्षा उपकरण बनाने की क्षमता प्रदर्शित करने के बाद इस सेक्टर में और तेजी आई है।
2025 में बाजार में रहेगी काफी वोलैटिलिटी
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई की लिक्विडिटी बढ़ाने की कोशिश और दरों में कटौती से लोन ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा और फाइनेंशियल सेक्टर में मजबूती बढ़ेगी। इसके अलावा कई पीएसयू कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में काफी अच्छे नतीजे पेश किए हैं। चतुरमोहता का मानना है कि साल 2025 में बाजार में काफी वोलैटिलिटी रहेगी। दुनिया हाई अमेरिकी बांड यील्ड के बीच अपनी व्यापार नीतियों को नया रूप दे कर रही है,जो दुनिया भर के बाजारों में संतुलन बनाए रखने वाले बल के रूप में काम करेगा।
माइक्रो और मैक्रो इकोनॉमिक फैक्टरों के चलते भारतीय बाजारों में आई गिरावट
हाल के महीनों में माइक्रो और मैक्रो इकोनॉमिक फैक्टरों के चलते भारतीय बाजारों में गिरावट आई है। माइक्रो फैक्टर्स की बात करें तो आरबीआई की सख्त मौद्रिक नीति, कम सरकारी कैपेक्स और कम निजी खपत ने मंदी बढ़ाने में योगदान दिया। टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं, भारत-पाकिस्तान तनाव और ग्लोबल सप्लाई चेन में आई परेशानी जैसी चिंताओं ने भी सेंटीमेंट को प्रभावित किया।
विदेशी निवेश बाजार के लिए बना रहेगा अहम ड्राइविंग फोर्स
अब कई माइक्रो दिक्कतें कम होती दिख रही हैं। ब्याज दरों में कटौती, RBI की तरफ से नकदी बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयास और सरकारी पूंजीगत व्यय में नए सिरे से बढ़त दिख रही है। चतुरमोहता का मानना है कि साल 2025 में बाजार में काफी वोलैटिलिटी रहेगी। दुनिया हाई अमेरिकी बांड यील्ड के बीच अपनी व्यापार नीतियों को नया रूप दे कर रही है,जो दुनिया भर के बाजारों में संतुलन बनाए रखने वाले बल के रूप में काम करेगा। हालांकि मैक्रो इकोनॉमिक फ्रंट पर कुछ दिक्कतें बनी हुई हैं। विदेशी निवेश बाजार के लिए एक अहम ड्राइविंग फोर्स बना रहेगा। अगर विदेश निवेश में तेजी आती है तो हम आने वाले महीनों में निफ्टी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचते हुए देख सकते हैं।
ग्लोबल मार्केट को टैरिफ पर स्पष्टता आने का इंतजार
ग्लोबल ट्रेड एक नए दौर से गुजर रहा है और मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर खुद को एडजस्ट कर रहा है। कुछ देश खुद को नई स्थितियों के साथ समायोजित कर रहे हैं और कुछ देश इस पर आपत्ति कर रहे हैं,जिससे अस्थिरता पैदा हो रही है। हमने इस बात पर नजर रखनी होगी कि ये टैरिफ कितने बुरे नतीजे दे सकता है। अप्रैल 2025 के शुरुआती दिनों में हमें इसके चलते भारी उठापटक देखने को मिली थी। ग्लोबल मार्केट को टैरिफ पर स्पष्टता आने का इंतजार है।
अमेरिकी बाजारों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत
अमेरिका भारी कर्ज के बोझ से जूझ रहा है। बॉन्ड यील्ड में मौजूदा उछाल इस बात का संकेत है कि निवेशक कम रिटर्न पर अमेरिकी बॉन्ड खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं। इक्विटी बाजार बॉन्ड बाजार में हर हलचल पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। मूडीज द्वारा हाल ही में अमेरिकी सिक्योरिटीज की रेटिंग घटाए जाने के बाद हमें अमेरिकी बाजारों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
अमेरिका-चीन ट्रेड डील होनी जरूरी
जहां तक दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड डील का सवाल है तो हमारा कहना होगा ग्लोबल ट्रेड को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऐसा ही होना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स को देखने से ऐसा लगता है कि इस पर चर्चाएं चल रही हैं और अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं। चूंकि ये दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं,इसलिए किसी फैसले पर पहुचनें में देरी हो सकती है। लेकिन ग्लोबल ट्रेड को व्यवस्थित करने के दोनों देशों को बीच डील जरूरी है।
डिफेंस,फाइनेंशियल और चुनिंदा पीएसयू शेयरों में कमाई के मौके
अपनी निवेश रणनीति पर बात करते हुए आशीष चतुरमोहता ने कहा कि वे डिफेंस,फाइनेंशियल और चुनिंदा पीएसयू शेयरों पर बुलिश बने हुए हैं। डिफेंस सेक्टर को मजबूत अनुकूल परिस्थितियों का फायदा मिल रहा है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के दौर में भारत द्वारा स्वदेशी रक्षा उपकरण बनाने की क्षमता प्रदर्शित करने के बाद इस सेक्टर में और तेजी आई है। इसके साथ ही आरबीआई द्वारा सिस्टम में नकदी बढ़ाने और दरों में कटौती से क्रेडिट ग्रोथ को सपोर्ट मिलने और फाइनेंशियल सेक्टर में और मजबूती आने की उम्मीद है। अपने हालिया शिखर से 25-30 फीसदी तक गिर चुके पीएसयू स्टॉक भी आशीष के रडार पर हैं। इनमें से कई ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में मजबूत नतीजे पेश किए है। उम्मीद है कि यह गति आने वाली तिमाहियों में भी जारी रहेगी।
डिफेंस स्टॉक्स मल्टी-ईयर बुल रन में
आशीष चतुरमोहता की राय है कि डिफेंस स्टॉक्स मल्टी-ईयर बुल रन में हैं। रक्षा खर्च में बढ़त होने की संभावना है। भारत, दूसरे देशों के लिए भी डिफेंस प्रोडक्ट्स का एक नया विकल्प बनने की कोशिश कर रहा है। भारत ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान अपनी क्षमता और योग्यता साबित भी की है। इसलिए,हम अभी भी इस इस सेक्टर के मल्टी-ईयर बुल रन के बीच में कहीं हैं।
हाल ही में जारी महंगाई के आंकड़ें आरबीआई की तय सीमा से नीचे रहे हैं। ऐसे में ब्याज दरों में और कटौती करने की गुंजाइश बनती है। ऐसे में ब्याज दर में कुछ बेसिस प्लाइंट की कटौती संभव है।
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