Daily Voice : वित्तवर्ष 2024 में कंपनियों के नतीजे अच्छे रहने की उम्मीद है। लेकिन नियर टर्म में निजी और सरकारी दोनों बैंकों के अर्निंग में किसी बड़े अपग्रेड की उम्मीद नहीं दिखती। ये बातें कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट की सीनियर ईवीपी और इक्विटी रिसर्च हेड शिबानी सरकार कुरियन ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कही हैं। उन्हें लगता है कि बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में चरम पर पहुंच गया है। वह कहती हैं, "यहां से आगे अधिकांश बैंकों को अगली कुछ तिमाहियों में मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इनकी डिपॉजिट लागत पिछले खाते के रि-प्राइसिंग के कारण बढ़ जाएगी।"
भारतीय इक्विटी बाजार का 19 सालों से ज्यादा का अनुभव रखने वाली शिबानी सरकार का कहना है कि भारतीय इक्विटी में मार्केट में मजबूती के पीछे तीन बड़े फैक्टर काम कर रहे हैं। ये हैं मजबूत मैक्रो स्थिति, तुलनात्मक रूप से मजबूत ग्रोथ, कंपनियों की अर्निंग में सुधार और एफआईआई और डीआईआई की तरफ से हो रहा निवेश।
इकोनॉमी पर बात करते हुए शिबानी सरकार ने कहा कि ऐसा लगता है कि ग्रामीण मांग अपने निचले स्तर तक पहुंच गई है। अब इसमें सुधार दिखना चाहिए। हम त्योहारी सीजन में प्रवेश कर रहे हैं इसका असर ग्रामीण मांग पर देखने को मिलेगा। लेकिन हमें कृषि आय और महंगाई पर मानसून के असर पर नजरें रखनी होंगी। ख़रीफ़ बुआई के आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार की बुआई पिछले साल के स्तर के समान ही रही है। भारी तेजी के बाद खाने-पीने की चीजों की महंगाई अब नीचे की ओर है। कृषि आय के अलावा, ग्रामीण भारत काफी हद तक इंफ्रा सेक्टर की गतिविधि पर भी निर्भर है, जिसमें काफी तेजी देखने को मिली है। इससे ग्रामीण मांग को सपोर्ट मिलने की संभावना है।
शिबानी सरकार का मनना है कि आरबीआई अक्टूबर की अपनी नीति बैठक में मौद्रिक नीति के रुख में कोई बदलाव न करते हुए नीति दरों को यथावत बनाए रखेगा। आरबीआई संभवतः महंगाई पर फोकस करते हुए डेटा पर निर्भर रहेगा। हालांकि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी के कारण खाद्य महंगाई में कमी आने की संभावना है। उम्मीद है कि आरबीआई की नजर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, मानसून की अनिश्चितता, और दुनिया के दूसरे बड़े सेंट्रल बैंकों की कार्रवाई पर रहेगी।
वित्त वर्ष 2024 की औसत रिटेल महंगाई आरबीआई के 4 फीसदी (+/-2 फीसदी) के बैंड के भीतर रहने की संभावना है। उम्मीद है कि आरबीआई अभी दरों को होल्ड पर रखेगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के संकेतों से लगता है कि ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रह सकती हैं।
क्या लार्जकैप की तुलना में मिडकैप और स्मॉलकैप का वैल्यूएशन महंगा दिखाई दे रहा है? इस सवाल के जवाब में शिबानी सरकार ने कहा कि बाजार के फंडामेंटल्स मजबूत बने हुए हैं, लेकिन वैल्यूएशन बढ़ा दिख रहा है। निफ्टी का वैल्यूएशन इसके लॉन्ग टर्म एवरेज से ऊपर है। लेकिन शॉर्ट टर्म में बाजार के लिए कोई बड़ी दिक्कत नहीं है। इस समय बाजार की नजर सितंबर तिमाही के नतीजों पर रहेगी। ऐसे में बाजार कुछ वोलेटाइल रह सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि मध्यम से लंबी अवधि के लिए मिड- और स्मॉल-कैप शेयर अच्छे दिख रहे हैं। हालांकि वर्तमान में मिड- और स्मॉल-कैप का वैल्यूएशन लार्जकैप की तुलना में महंगा दिख रहा। मिड-कैप इंडेक्स का वैल्यूएशन उसके 10-ईयर एवरेज से एक स्टैंर्डड डेविएशन ज्यादा है और निफ्टी पर मिड-कैप वैल्यूएशन प्रीमियम पिछले 10 वर्षों के औसत की तुलना में काफी ज्यादा है। स्मॉल-कैप का वैल्यूएशन भी ज्यादा है। ऐसे में शॉर्ट टर्म के नजरिए लॉर्ज कैप पर फोकस करने की सलाह होगी।
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