घरेलू बाजार में बॉन्ड यील्ड में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। वहीं अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में काफी धीमी गति से बढ़त देखने को मिल रही है। इसके संकेत मिल रहा है कि हम दरों के बढ़त के चक्र के शिखर के करीब पहुंच रहे हैं। यहां से दरों में अब और ज्यादा बढ़त की उम्मीद नहीं है। इससे इक्विटी मार्केट पर पॉजिटिव असर पड़ने की संभावना दिख रही है। ये बातें इंडियाचार्ट्स (Indiacharts) के संस्थापक रोहित श्रीवास्तव ने 16 सितंबर को मनीकंट्रोल के एक्स स्पेसेस ( X Spaces) में भाग लेते हुए कही हैं। इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि “भारत की 10 ईयर बॉन्ड यील्ड पिछले साल किसी समय चरम पर थी। उसके बाद इसमें 2.5 फीसदी तक का कंसोलीडेशन देखने को मिला। इस साल की शुरुआत में ये कंसोलीडेशन रेंज से बाहर आती दिखी। इसके बाद भारत की 10 ईयर बॉन्ड यील्ड 7 फीसदी पर रही और फिर वापस उछलकर लगभग 7.25 फीसदी के लोअर हाई पर पहुंच गई।''
गिरती बॉन्ड यील्ड इक्विटी मार्केट के लिए शुभ संकेत
सिद्धांत रूप से देखें तो बढ़ती बॉन्ड यील्ड इक्विटी मार्केट के लिए नकारात्मक संकेत है। बॉन्ड यील्ड में बढ़त से इक्विटी निवेश कम आकर्षक हो जाता है। श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत में बॉन्ड यील्ड का रुझान साफ तौर पर गिरावट की तरफ है। जब बाजार को लगता है कि बॉन्ड यील्ड और ब्याज दरों में गिरावट देखने को मिलेगी तो इसमें तेजी आने लगती है। “पिछले शुक्रवार को, बॉन्ड यील्ड 7.25 फीसदी से गिरकर 7.1 फीसदी पर आ गई। इसने पिछले महीने से जारी तेजी के रुझान को नकार दिया है और फिर से गिरावट की ओर रुख कर लिया। इसलिए भारत में बॉन्ड यील्ड साफतौर पर कम हो रही है”।
ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में भी नरमी
ग्लोबल बॉन्ड यील्ड पर बात करते हुए रोहित ने कहा कि इसमें अभी भी तेजी का रुख है लेकिन ये तेजी कम होती दिखी है। पिछले साल अक्टूबर में बॉन्ड यील्ड में उछाल देखने को मिली लेकिन उसके बाद ब्रिटिश सराकर पाउंड को सहारा देने और इश्योरेंस कंपनियों को बचाने को लिए मैदान में आ गई। उसके बाद से डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड मजबूत हुआ है। चार्ट पर नजर डालने से पता चलता है कि बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी की गति धीमी पड़ रही है। इससे संकेत मिलता है कि आगे ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। ये इक्विटी मार्केट के लिए पॉजिटिव होगा।
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि कमोडिटी की कीमतों में अब गिरावट बंद हो गई है। ज्यादातर कमोडिटीज किसी ट्रिगर के इंतजार हैं जो या तो डॉलर या फिर बॉन्ड यील्ड की तरफ से आएगा। “जब भी ऐसा होगा, रिफ़्लेशन ट्रेड का दूसरा दौर देखने को मिलेगा जो कमोडिटी साइकिल पर आधारित होता है। लेकिन कुल मिलाकर अच्छी खबर यह है कि भारत में बॉन्ड यील्ड फिर से गिर रही है।
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