Daily Voice : एक्सिस सिक्योरिटीज पीएमएस के पोर्टफोलियो मैनेजर निशित मास्टर ने मनीकंट्रोल से हुई बातचीत में कहा है कि आगे की बेहतर ग्रोथ संभावनाओं के कारण भारत का बाजार दुनियां के सबसे महंगे बाजारों में से एक बना हुआ है। उनका मानना है कि भारतीय बाजार के मौजूदा मल्टिपल लॉन्ग टर्म एवरेज से ज्यादा हैं, फिर भी हमारे बाजारों में बुलाबुला बनने जैसी स्थिति नहीं है। उनका ये भी कहना है कि बाजार में फिलहाल स्मॉल और मिडकैप सेक्टर में झाग बनने या अस्वाभाविक तेजी जैसी स्थिति है। पोर्टफोलियो प्रबंधन का 16 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले निशित मास्टर का कहना है कि उनको फार्मा, कैपिटल गुड्स, इंडस्ट्रियल, ऑटो/ऑटो एंसिलरी कंपनियों, बैंक और एनबीएफसी कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों में मजबूती दिखने की उम्मीद है।
बाजार में बुलाबुला बनने जैसी स्थिति नहीं
बाजार की आगे की दशा और दिशा पर बात करते हुए निशित मास्टर ने कहा कि बेहतर ग्रोथ आउटलुक के चलते दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत के बाजार महंगे दिख रहे हैं। भारतीय बाजार वर्तमान में अन्य उभरते बाजारों (इमर्जिंग मार्केट) की तुलना में लगभग 75 फीसदी प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है, जबकि इसका लॉन्ग टर्म एवरेज प्रीमियम 40 फीसदी है। अगर हम एक साल आगे के नजरिए से देखें तो निफ्टी अपने एक साल के आगे की कमाई के 20 गुना पर कारोबार कर रहा है, जबकि इसका लॉन्ग टर्म औसत 18 गुना है। हालांकि भारतीय बाजार के मौजूदा मल्टिपल लॉन्ग टर्म एवरेज से ज्यादा हैं, फिर भी हमारे बाजारों में बुलाबुला बनने जैसी स्थिति नहीं है।
मौजूदा स्तरों पर स्मॉल और मिडकैप शेयरों से रहें सावधान
मिड और स्मॉलकैप पर अपनी राय देते हुए निशित मास्टर ने कहा कि मौजूदा स्तरों पर स्मॉल और मिडकैप शेयरों में खरीदारी करने में सावधानी बरतने की जरूरत है। अब तक की एकतरफा तेजी के चलते स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स महंगे दिख रहे हैं। अगर किसी को स्मॉल और मिडकैप शेयरों में खरीदारी करनी ही है तो ऐसे क्वालिटी शेयरों पर ही दांव लगाएं जिनमें टिकाऊ फ्री कैश फ्लो जेनरेट (नकदी हासिल करने की) करने की संभावना हो और जो सही वैल्यूएशन पर मिल रहे हों।
शॉर्ट टर्म में आरबीआई की नीति दरों में बदलाव की उम्मीद नहीं
अगस्त महीने के महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए अक्टूबर की नीति बैठक में आरबीआई की पॉलिसी क्या हो सकती है? इसका जवाब देते हुए निशित मास्टर ने कहा कि अगस्त में महंगाई के आंकड़े अनुमान से कम रहे हैं, खाने-पीने की चीजों की महंगाई कम हुई है। वहीं कोर महंगाई 5 फीसदी से नीचे और स्थिर बनी हुई है। निशित का मानना है कि आरबीआई अक्टूबर की नीति बैठक में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में हालिया बढ़त चिंता का विषय है। ब्रेंट 90 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। आरबीआई कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और इससे महंगाई पर पड़ने वाले किसी भी प्रभाव पर गहरी नजर रखेगा। लेकिन उम्मीद है कि शॉर्ट टर्म में नीति दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।
डिफेंस शेयरों पर अपनी राय रखते हुए निशित मास्टर ने कहा कि उनको डिफेंस सेक्टर के शेयर पसंद है और उनका मानना है कि यह सेक्टर भारत के संरचनात्मक विकास की कहानी का अहम हिस्सा है। लेकिन इस समय डिफेंस स्टॉक्स काफी महंगे हो गए हैं। ध्यान रखने की बात है कि डिफेंस कंपनियों की अर्निंग में काफी उतार-चढ़ाव होता है। हालांकि आगे डिफेंस कंपनियों के ऑर्डरबुक और अर्निंग में ग्रोथ देखने को मिलेगी। लेकिन ये ग्रोथ एक समान नहीं होगी। बीच-बीच में हमें ऐसी तिमाहियां और साल भी देखने को मिल सकते हैं जिनमें हमें डिफेंस कंपनियों से निराशा मिल सकती है।
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