शेनॉय सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे, शेयरों में ऐसी दिलचस्पी की फंड मैनेजर बन गए, अब म्यूचुअल फंड शुरू करने जा रहे

दीपक शेनॉय ने बताया कि उन्होंने शुरुआत एक ब्लॉग से की थी, जिसका नाम 'इंडियन इनवेस्टर्स ब्लॉग' था। आज कैपिटलमाइंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 2,200 करोड़ रुपये है। इसके करीब 1,300 क्लाइंट्स हैं। कैपिटलमाइंड कुछ चुनिंदा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) में शामिल है, जो सिर्फ मैनेजमेंट फीस लेती है

अपडेटेड Sep 25, 2024 पर 1:18 PM
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दीपक शेनॉय कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज के फाउंडर और सीईओ हैं। उन्होंने 2009 में इसकी शुरुआत की थी।

शेयरों में दिलचस्पी के चलते कई डॉक्टर, इंजीनियर्स अपना पेशा छोड़ फुल टाइम इनवेस्टर्स बन चुके हैं। इस कड़ी में अब दीपक शेनॉय का नाम जुड़ गया है। शेनॉय पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। शेयरों की दुनिया इतनी पसंद आ गई कि फंड मैनेजर बन गए। अब वह म्यूचुअल फंड हाउस शुरू करने जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें सेबी की मंजूरी मिल गई है। वह कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज के फाउंडर और सीईओ हैं। उन्होंने 2009 में इसकी शुरुआत की थी।

शुरुआत एक इनवेस्टमेंट ब्लॉग से की थी

दीपक शेनॉय (Deepak Shenoy) की सक्सेस स्टेरी काफी दिलचस्प है। उन्होंने बताया कि उन्होंने शुरुआत एक ब्लॉग से की थी, जिसका नाम 'इंडियन इनवेस्टर्स ब्लॉग' था। आज कैपिटलमाइंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 2,200 करोड़ रुपये है। इसके करीब 1,300 क्लाइंट्स हैं। शेनॉय ने कहा कि कैपिलमाइंड में हम क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते हैं। म्यूचुअल फंड बिजनेस शुरू करने पर वह निवेश की इसी स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करेंगे।


निवेश की क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी पर फोकस

 उन्होंने इस स्ट्रेटेजी के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा कि निवेश की क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी में फोकस डेटा पर होता है। डेटा कुछ खास एल्गोरिद्म पर रन किए जाते हैं। एल्गोरिद्म कुछ खास फिल्टर्स जैसे ग्रोथ, प्रॉफिटबिलिटी, वैल्यू या क्वालिटी पर आधारित होता है। फिर इस एल्गोरिद्म को अलग-अलग टाइम फ्रेम में टेस्ट किया जाता है। एल्गोरिद्म निवेश के लिए कुछ स्टॉक्स का सेट तय करता है। इसे क्वांट स्ट्रेटेजी भी कहा जाता है।

क्वांट इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी का मतलब

Quant एक इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी है, जो निवेश के मौकों की पहचान करने के लिए मैथेमेटिकल मॉडल और स्टैस्टिकल मेथड्स का इस्तेमाल करती है। दुनिया में क्वांट फंड मार्केट का साइज 2031 तक बढ़कर 31 लाख करोड़ डॉलर पहुंच जाने की उम्मीद है। 2023 में यह 16 लाख करोड़ डॉलर था। इंडिया में एक्टिव क्वांट म्यूचुअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर इस साल अगस्त के अंत में 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। 2020 में यह 300 करोड़ रुपये था। क्वांट स्कीम की संख्या इस दौरान 3 से बढ़कर 10 हो गई है।

कैपिटलमाइंड नहीं लेती परफॉर्मेंस फीस

यह पूछने पर कि क्या बैकग्राउंड टेक्नोलॉजी का होने से शेयर मार्केट को समझने में दिक्कत आई, उन्होंने कहा कि पहले कैपिटल मार्केट्स के बुनियाद सिद्धातों को समझने की कोशिश की। इससे चीजें अलग तरीके से करने में मदद मिली। आज कैपिटलमाइंड कुछ चुनिंदा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) में शामिल है, जो सिर्फ मैनेजमेंट फीस लेती है। यह परफॉर्मेंस फीस नहीं लेती है। यह म्यूचुअस फंड्स की तरह है, जिसमें सिर्फ निवेशकों को सिर्फ एक्सपेंस रेशियो चुकाना पड़ता है।

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क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी के इस्तेमाल के फायदे

कैपिटलमाइंड के फाउंडर ने कहा कि इनवेस्टमेंट में अगर इनसान की तरफ से लिए जाने वाले फैसलों की संख्या घटाई जाए तो यह स्ट्रेटेजी बगैर फंड मैनेजर के काम करने लगती है। उन्होंने इसके फायदे बताते हुए कहा कि अगर कल फंड मैनेजर चला जाता है तो भी एल्गोरिद्म अपना काम करता रहेगा। उन्होंने कहा कि कई बार हमने देखा है कि फंड मैनेजर के इस्तीफा देने पर स्कीम का प्रदर्शन खराब हो जाता है। क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजी में फीस भी कम रहती है, क्योंकि आपकी निर्भरता फंड मैनेजर पर नहीं होती है।

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First Published: Sep 25, 2024 1:03 PM

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