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डिजिटल कंपनियों से IPO के लिए मर्चेंट बैंकर्स वसूलते हैं ज्यादा फीस, जानिए वजह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिजिटल कंपनियों का बिजनेस मॉडल इनोवेटिव होता है। इसके बारे में निवेशकों को आश्वस्त करना आसान नहीं होता है। इसके अलावा ज्यादातर न्यू एज या डिजिटल कंपनियां लॉस में चल रही होती हैं

अपडेटेड Sep 17, 2024 पर 6:04 PM
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2019 से डिजिटल कंपनियों ने इनवेस्टमेंट बैंकर्स को इश्यू साइज की औसत 3 फीसदी फीस चुकाई हैं। यह दूसरे सेक्टर की कंपनियों की तरफ से चुकाई गई फीस से ज्यादा है।

यूनिकॉमर्स ईसॉल्यूशंस ने अगस्त में 277 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश किया था। जैगल प्रीपेड ओशन ने पिछले साल सितंबर में 563 करोड़ रुपये का आईपीओ लॉन्च किया था। ईजी ट्रिप प्लैनर्स ने मार्च 2021 में 510 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश किया था। ये तीनों डिजिटल कंपनियां हैं। इन तीनों ने मर्चेंट बैंकों को सामान्य से ज्यादा फीस चुकाए। दरअसल, मर्चेंट बैंकर्स डिजिटल या न्यू एज कंपनियों से आईपीओ की ज्यादा फीस वसूलते हैं।

डिजिटल कंपनियों ने चुकाई 4 फीसदी से ज्यादा फीस

प्राइम डेटाबेस के डेटा के मुताबिक, Unicommerce eSolutions ने इश्यू साइज का 4.7 फीसदी बतौर फीस मर्चेंट बैंकर्स को चुकाया था। Zaggle Prepaid Ocean Services ने इश्यू साइज का 4.2 फीसदी और Easy Trip Planners ने 4.1 फीसदी फीस चुकाई थी। ट्रेडिशनल या दूसरे सेक्टर की कंपनियों की तरफ से चुकाई जाने वाली फीस से तुलना करें तो यह ज्यादा है। उदाहरण के लिए 2024 में 500 करोड़ रुपये से कम के आईपीओ के लिए औसत फीस 3.93 फीसदी थी।


न्यू एज कंपनियों के इश्यू में निवेशक की कम दिलचस्पी

2019 से डिजिटल कंपनियों ने इनवेस्टमेंट बैंकर्स को इश्यू साइज की औसत 3 फीसदी फीस चुकाई हैं। यह दूसरे सेक्टर की कंपनियों की तरफ से चुकाई गई फीस से ज्यादा है। मर्चेंट बैंकर्स का कहना है कि डिजिटल कंपनियों के आईपीओ में ज्यादा मेहनत शामिल होती है। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर डिजिटल कंपनियां लॉस में चल रही होती हैं। इसके अलावा दूसरे सेक्टर की कंपनियों के मुकाबले इनमें कंप्लायंस और ड्यू डिलिजेंस ज्यादा होता है।

ज्यादातर डिजिटल कंपनियां लॉस में होती हैं

एक डोमेस्टिक इनवेस्टमेंट बैंक के एवीपी वैभव मलिक ने कहा, "न्यू एज कंपनियां नए मॉडल पर बिजनेस खड़ा करती हैं, जिससे उनके इनोवेटिव बिजनेस मॉडल के बारे में निवेशकों को समझाने में दिक्कत आती है। इनमें से कई कंपनियां लॉस में चल रही होती है। इस वजह से निवेशकों को अट्रैक्ट करने के लिए काफी कोशिश करनी पड़ती है। इस वजह से उनसे ज्यादा फीस ली जाती है।"

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सरकारी कंपनियां चुकाती हैं सबसे कम फीस

अगर सरकारी कंपनियों के आईपीओ से तुलना की जाए तो डिजिटल कंपनियों की तरफ से आईपीओ के लिए चुकाई जाने वाली फीस और ज्यादा दिखती है। सरकार कंपनियां आम तौर पर इश्यू साइज का 1.3 फीसदी फीस मर्चेंट बैंकर्स को चुकाती हैं। प्राइम डेटाबेस के मैनेजिंग डायरेक्टर पृथ्वी हल्दिया ने कहा कि सरकारी कंपनियां (PSU) कॉम्पटिटिव बिडिंग प्रोसेस का इस्तेमाल करती हैं, जिससे फीस काफी कम रहती है।

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