GIFT City में IFSC के विदेशी एक्सचेंजों पर इंडियन कंपनियों की डायरेक्ट लिस्टिंग जल्द शुरू हो जाएगी। IFSCA के चेयरपर्नस के राजारमण ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। वह मुंबई में एशिया सिक्योरिटीज फोरम एजीएम में हिस्सा लेने आए थे। उन्होंने बताया कि गिफ्ट सिटी में इंडियन कंपनियों की डायरेक्ट लिस्टिंग के लिए PMO के एप्रूवल का इंतजार है। यह किसी भी समय आ सकता है। उन्होंने कहा कि वर्किंग ग्रुप की सलाह के साथ ही SEBI और RBI के बीच तालमेल का काम भी 10-15 दिन में पूरा हो जाएगा। इसके बाद इस साल के अंत तक प्रोसिजर में हम जरूरी बदलाव कर लेंगे। गिफ्ट सिटी में इंडियन कंपनियों की डायरेक्ट लिस्टिंग के कई फायदे हैं। गिफ्ट सिटी गुजरात की राजधानी गांधीनगर के करीब स्थित है।
फॉरेन इनवेस्टर्स को होंगे फायदे
गिफ्ट सिटी में इंडियन कंपनियों की डायरेक्ट लिस्टिंग से फॉरेन इनवेस्टर्स को भी आसानी होगी। इन कंपनियों के स्टॉक्स में डॉलर में कारोबार होगा। इससे उन्हें इन कंपनियों के स्टॉक्स में इनवेस्ट करने के लिए अपनी करेंसी को रुपये में कनवर्ट नहीं करना पड़ेगा। इससे कनवर्जन पर आने वाला खर्च बचेगा। साथ ही उन्हें हेजिंग की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। सितंबर 2023 में IFSC इंटरनेशनल स्टॉक एक्सचेंजों में मंथली टर्नओवर 67.3 अरब डॉलर था। अभी गिफ्ट सिटी में दो इंटरनेशनल एक्सचेंज काम कर रहे हैं-BSE का India INX और NSE का International Exchange।
गिफ्ट सिटी में 69 ब्रोकर्स-डीलर्स
GIFT City में करीब 69 ब्रोकर्स-डीलर्स, 19 क्लियरिंग मेंबर्स, दो क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस और 5 कस्टोडियशंस रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा NSE और BSE की गिफ्ट सिटी यूनिट्स को मिलाने का भी प्रस्ताव है। सरकार भारतीय कंपनियों की लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सीधी लिस्टिंग की संभावनाओं पर भी काम कर रही है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए इंग्लैंड में लिस्टिंग का रास्ता साफ हो जाएगा।
NRI को एआईएफ से निवेश करने पर नहीं लगेगा टैक्स
राजारमण ने कहा कि गिफ्ट सिटी में 78 फंड मैनेजर्स की तरफ से करीब 68 अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स लॉन्च किए गए हैं। उनका फोकस करीब 20 अरब डॉलर पर है। इसमें से करीब 4 अरब डॉलर के प्रस्ताव मिल चुके हैं। 1 अरब डॉलर का निवेश इंडिया में हो चुका है। इनमें हेज फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स और प्राइवेट इक्विटी फंड्स शामिल हैं। अगर कोई NRI विदेश में होने वाली इनकम का निवेश IFSC में बनाए गए AIF के जरिए करता है तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ता है। कानूनी रूप से IFSC को ऐसा ज्यूरिडिक्शन माना जाता है, जो इंडिया से अलग है।