Currency Check : बुधवार 12 फरवरी को भारतीय रुपया 39 पैसे बढ़कर 86.44 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर खुला है। जबकि मंगलवार को यह 86.8 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। इस बीच डॉलर ने टैरिफ से जुड़ी खबरों के दम पर आई तेजी से एक कदम पीछे हटते हुए हाल के शिखर से वापसी की। अब करेंसी ट्रेडर्स की नजर अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों और व्यापक व्यापार से जुड़ी खबरों पर लगी हुई हैं। आज बुधवार की सुबह डॉलर 0.3 फीसदी मजबूत होकर सप्ताह में पहली बार 153 येन से ऊपर पहुंच गया। लेकिन दूसरी करेंसीज की तुलना में इसमें मामूली गिरावट देखी गई तथा यह 1.0357 डॉलर प्रति यूरो पर दिख रहा है। फिलहाल डॉलर इंडेक्स 108.04 के स्तर पर दिख रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा है कि रुपये की कमजोरी में कई फैक्टर्स का असर देखने को मिल रहा है। रुपए की तुलना में दूसरे देशों की करेंसी ज्यादा कमजोर हुई हैं। डॉलर मजबूत हुआ। रुपया स्टेबल है। दक्षिण एशियाई और G-10 देशों की करेंसी 5 फीसदी लुढ़की है। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि यूक्रेन रूस संघर्ष से वातावरण खराब हो रहा है। खाने-पीने की चीजों में नरमी आती दिख रही है। केंद्रीय बजट ने इन तात्कालिक चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास किया गया है। महंगाई से निपटना इस सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। रिटेल महंगाई 2-6 फीसदी बैंड के भीतर है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बातों का समर्थन पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने भी किया है। राजन ने कहा है रुपये की कमजोरी से ज्यादा चिंता नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये में गिरावट के बारे में बताते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि प्रमुख देशों में करेंसी में उतार-चढ़ाव बहुत व्यापक है और पिछले साल अक्टूबर से इस साल जनवरी तक डॉलर इंडेक्स में 6.5 फीसदी की बढ़त हुई है।
वित्त मंत्री ने कल लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा,"पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन ने 15 भी जनवरी, 2025 को स्वीकार किया है कि चिंता हमेशा रुपया-डॉलर एक्सचेंज रेट पर होती है। वास्तविकता यह है कि अमेरिकी डॉलर, यूरो सहित दुनिया की कई करेंसीज के मुकाबले मजबूत हो रहा है। इसलिए यह वास्तव में या डॉलर का मुद्दा है।
बता दें कि पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने भी मोजो को दिए गए एक साक्षात्कार में रुपये में गिरावट के लिए डॉलर के मजबूत होने को कारण बताया था। उन्होंने कहा कि रुपये में आई गिरावट कुछ अन्य करेंसीज में आई गिरावट की तुलना में कम है। वही, अगर वास्तविक प्रभावी विनिमय दर को देखा जाए तो यह गिरावट इतनी ज्यादा नहीं है।