घरेलू निवेशक भारत के पूंजी बाजारों में नई ताजगी या यूं कहें कि नई ऊर्जा ला रहे हैं। यह बात दीपम (डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट) के सेक्रेटरी अरुणीश चावला ने नई दिल्ली में नेटवर्क18 रिफॉर्म्स रीलोडेड में कही। उन्होंने CNBC-TV18 की मैनेजिंग डायरेक्टर शीरीन भान के साथ बातचीत में अधिक लोकतांत्रीकरण और छोटे निवेशकों की बढ़ती भूमिका से जुड़े संरचनात्मक बदलाव पर रोशनी डाली।
बातचीत के दौरान चावला ने कहा कि हम घरेलू निवेशकों के साथ और अधिक वैल्यूएबल साझेदारी के साथ वापसी करेंगे। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, बहुत जल्द हमारे पूंजी बाजार दुनिया के तीसरे सबसे बड़े बाजार बन जाएंगे।
PSUs की ओर से डिविडेंड पेमेंट में ₹1.2 लाख करोड़ को पार करना है लक्ष्य
दीपम सेक्रेटरी के मुताबिक, कैपिटल मार्केट्स में कंपनियों के कुल मार्केट कैप में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत की है। लेकिन छोटे शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड में उनकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की है। चावला ने कहा कि लक्ष्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की ओर से इस साल डिविडेंड पेमेंट में ₹1,20,000 करोड़ के आंकड़े को पार करना है। साथ ही वित्त वर्ष 2026 में एसेट मॉनेटाइजेशन के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ना है। पिछले 5 सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की ओर से दिया जाने वाला डिविडेंड दोगुना हो गया है।
DII की ओर से 2025 में अब तक कितना निवेश
घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) इक्विटी मार्केट में लगातार निवेश कर रहे हैं। पिछले शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 129.6 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि DII की ओर से निवेश 1,556 करोड़ रुपये रहा। 2025 में अब तक FII ने 1.8 लाख करोड़ रुपये की सेलिंग की है। वहीं दूसरी ओर DII ने 2024 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2025 में भारतीय इक्विटी में निवेश के मामले में एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। 2025 में अब तक DII ने 5.3 लाख करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर खरीदे हैं। इन निवेशकों में म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियां, बैंक और पेंशन सिस्टम्स शामिल हैं। पिछले साल इन निवेशकों ने 5.22 लाख करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर खरीदे थे।
इस साल अब तक कितना बढ़े सेंसेक्स और निफ्टी
DII की ओर से इतने तगड़े निवेश के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों की ग्रोथ इस साल खास अच्छी नहीं है। भारतीय इक्विटी बाजार, वैश्विक बाजारों से पीछे रहे हैं। डॉलर के लिहाज से बात करें तो 2025 में अब तक सेंसेक्स केवल 2 प्रतिशत और निफ्टी 4 प्रतिशत बढ़ा है। कंपनियों की कमजोर आय और बढ़ी हुई वैल्यूएशन इसके पीछे मुख्य कारण हैं।