अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब फॉर्मा सेक्टर पर 100 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। यह 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा। यह टैरिफ अमेरिका में आयात होने वाली ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाइयों पर लागू होगा। अमेरिकी सरकार के फैसले में कहा गया है कि अगर कोई विदेशी कंपनी अमेरिका में दवाइयां बनाती है या वह अमेरिका में दवाइयां बनाने के लिए प्लांट लगा रही है तो उसे इस टैरिफ से छूट मिलेगी। इस फैसले का ज्यादा असर उन देशों पर पड़ेगा जहां की फार्मा कंपनियां अमेरिका को दवाओं का ज्यादा एक्सपोर्ट करती हैं। इनमें आयरलैंड, जर्मनी और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
इंडियन फार्मा कंपनियों पर ज्यादा असर नहीं
Indian Pharma Companies पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि इंडियन फार्मा कंपनियां अमेरिका को ज्यादातर जेनरिक दवाओं का एक्सपोर्ट करती हैं। जेनरिक दवाओं का मतलब ऐसी दवाओं से है, जिन पर पेंटेंट नहीं होता है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत से अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाली दवाइओं में जेनरकि दवाओं की 95 फीसदी हिस्सेदारी है। इसलिए फिलहाल सन फार्मा, डॉ रेड्डीज, सिप्ला जैसी बड़ी फार्मा कंपनियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
फार्मा पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की वजह
ट्रंप के आयातित दवाइयों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की खास वजह है। पहला, अमेरिकी बाजार में बिकने वाली प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की कीमतें काफी ज्यादा हैं। दूसरा, ट्रंप दवाइयों के उत्पादन में अमेरिका को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। ट्रंप की लंबे समय से शिकायत रही है कि एक ही दवा की कीमत दूसरे देश में कम है, जबकि अमेरिका में काफी ज्यादा है। उनका कहना है कि कंपनियों को अपनी दवाएं दूसरे देशों में कम कीमत पर बेचने के लिए अमेरिका में ज्यादा कीमत पर नहीं बेचनी चाहिए।
यूएस में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनी को टैरिफ से छूट
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह साफ संकेत दिया है कि अगर किसी फार्मा कंपनी की अमेरिका में दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग में दिलचस्पी है तो उसे 100 फीसदी टैरिफ से छूट मिलेगी। उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर किसी कंपनी ने अमेरिका में अपना प्लांट लगाना शुरू कर दिया है तो उसे इसे 100 फीसदी टैरिफ से छूट मिलेगी। ट्रंप का मकसद दुनिया की बड़ी फार्मा कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना है। खासकर उन कंपनियों को जो अमेरिका को ज्यादा एक्सपोर्ट करती हैं।
इंडियन फार्मा कंपनियां जेनरिक दवाओं का करती हैं एक्सपोर्ट
इंडिया की कई जेनरिक फार्मा कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 30-45 फीसदी के बीच है। अमेरिका में जेनरिक दवाओं का मार्केट बहुत बड़ा है। लेकिन, यह काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेटेंटेड दवाइयों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के ट्रंप के फैसले से जेनरिक फार्मा कंपनियों को फायदा हो सकता है। पेटेंटेड दवाइयों की कीमतें टैरिफ की वजह से बढ़ जाएंगी। इससे उन दवाओं की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिल सकता है, जिन पर पेटेंट खत्म हो चुका है।
इंडियन कंपनियों पर ऐसे पड़ेगा असर
इंडिया में सिर्फ सन फार्मा पर ट्रंप के 100 फीसदी टैरिफ का असर पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि इस कंपनी के रेवेन्यू में स्पेशियलिटी ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 19 फीसदी है। इसका बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। हालांकि, कंपनी का पहले से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं। हाल में कंपनी ने चेकप्वाइंट का अधिग्रहण किया है, जिससे सन फार्मा के ओंको-डर्मा पोर्टफोलियो को मजबूती मिली है। फार्मा इंडस्ट्री के लिए बदलते हालात का फायदा CRDMO इंडस्ट्री को मिल सकता है। इसलिए इनवेस्टर्स को Syngene, Sai Life, Ami Ogranics, Neulands labs, Lauras, Navin Fluorine जैसी कंपनियों के शेयरों पर नजर रखने की जरूरत है।