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Trump Tariffs: डोनाल्ड ट्रंप आज करेंगे टैरिफ लागू करने का ऐलान, इन शेयरों को लग सकता है बड़ा झटका

Trump Reciprocal Tariffs Impact: ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का सीधा असर भारत के उन उद्योगों पर पड़ेगा, जिनका कारोबार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से अमेरिकी बाजार से जुड़ा हुआ है। खासकर फार्मा, जेम्स एंड ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेटल और आईटी सेक्टर इस टैरिफ पॉलिसी के निशाने पर आ सकते हैं। आइए इन पर एक नजर डालते हैं

अपडेटेड Apr 02, 2025 पर 10:58 AM
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Trump Tariffs: भारत के फार्मा सेक्टर पर रेसिप्रोकल टैरिफ का काफी असर पड़ने का अनुमान जताया जा रहा है

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज 2 अप्रैल को 'रेसिप्रोकल टैरिफ' को लेकर बड़ा ऐलान करने वाले हैं। ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह भारत समेत कई देशों पर 'रेसिप्रोकल टैरिफ' यानी जवाबी टैक्स लगा सकते हैं। इसके चलते पूरे ग्लोबल मार्केट्स में हलचल मची हुई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्रंप के इस ऐलान से किन सेक्टर्स को नुकसान होगा, कौन इस चुनौती से बाहर निकल सकता है और निवेशकों को किन स्टॉक्स पर नजर रखनी चाहिए?

माना जा रहा है ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का सीधा असर भारत के उन उद्योगों पर पड़ेगा, जिनका कारोबार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से अमेरिकी बाजार से जुड़ा हुआ है। खासकर फार्मा, जेम्स एंड ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेटल और आईटी सेक्टर इस टैरिफ पॉलिसी के निशाने पर आ सकते हैं। आइए इन पर एक नजर डालते हैं-

फार्मा सेक्टर को लेकर बढ़ी चिंता

फार्मा के एक्सपोर्ट मार्केट में भारत का काफी दबदबा है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा जेनरिक दवाओं का एक्सपोर्ट करने वाले देशों में से एक है। लेकिन ट्रंप के टैरिफ से इसमें हलचल मच सकती है। अमेरिका फार्मास्युटिकल्स उत्पादों के आयात पर जीरो ड्यूटी लगाता है, जबकि भारत अमेरिका से फार्मा आयात पर करीब 10 फीसदी ड्यूटी लगाता है। इसके चलते इस सेक्टर में रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर चिंता जताई जा रही है।


HDFC सिक्योरिटीज के मेहुल सेठ ने बताया कि अधिकतर भारतीय कंपनियां अमेरिका में 5 से 20 फीसदी के काफी कमजोर मार्जिन काम कर रही है और अगर टैरिफ बढ़ता है तो इनके मार्जिन पर असर पड़ सकता है। यहां तक कि कुछ कंपनियों को अपने कम मार्जिन उत्पादों को बाजार से हटाना भी पड़ सकता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि डॉ रेड्डीज, डिविज लैब्स, सन फार्मा, सिप्ला और ल्यूपिन जैसी कंपनियां इस फैसले से प्रभावित हो सकती हैं। अमेरिकी बाजार में उनकी हिस्सेदारी काफी बड़ी है। ऐसे में निवेशकों को इस सेक्टर पर पैनी नजर रखनी होगी।

जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर को झेलनी पड़ सकती है मुश्किलें

भारत जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है और अमेरिका हमारा सबसे बड़ा ग्राहक। अगर ट्रंप प्रशासन इस सेक्टर पर टैरिफ बढ़ाता है, तो भारतीय कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूरोप भी अमेरिकी टैरिफ के निशाने पर आ सकता है, जिससे भारत पर दबाव थोड़ा कम हो सकता है।"

एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत के घरेलू सप्लायर्स की मजबूत स्थिति इस सेक्टर को कुछ हद तक बचा सकती है। लेकिन अगर अमेरिका ने ज्वैलरी पर ऊंचा टैरिफ लगाया, तो मालाबार गोल्ड, रेनिसां ज्वेलरी, राजेश एक्सपोर्ट्स और कल्याण ज्वेलर्स जैसी कंपनियों को तगड़ा झटका लग सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग (EMS) कंपनियों पर अप्रत्यक्ष असर

इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी ट्रंप के टैरिफ पॉलिसी से अछूता नहीं रहेगा। यह सेक्टर प्रत्यक्ष रूप से भले ही प्रभावित न हो, लेकिन इनकी ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर जरूर पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के चलते भारतीय EMS कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारतीय EMS कंपनियां इस संभावित नुकसान से बचने के लिए चीनी कंपनियों के साथ साझेदारी की संभावनाओं पर काम कर रही हैं। इसके अलावा भारत सरकार भी इस सेक्टर को मजबूत करने के लिए ₹25,000 करोड़ की नई PLI (प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव्स) योजना पर काम कर रही है।

एक्सपर्ट्स ने बताया कि इस सेक्टर में डिक्सन टेक्नोलॉजीज और केन्स टेक के शेयरों पर नजर बनी रहेगी क्योंकि ये दोनों ही कंपनियां अमेरिकी बाजार में विस्तार पर फोकस कर रही है।

मेटल सेक्टर पर पड़ सकता है अप्रत्यक्ष असर

एलारा कैपिटल के इक्विटी एनालिस्ट्स रवि सोडा ने कहा कि मेटल सेक्टर पर ट्रंप के टैरिफ ऐलानों का कोई सीधी असर पड़ने की संभावना बेहद कम है। लेकिन अगर अमेरिका चीन पर कड़े शुल्क लगाता है, तो चीन अपने अतिरिक्त स्टील और एल्युमिनियम को सस्ते भाव पर भारत में बेचने की कोशिश करेगा। इससे घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट आ सकती है और भारतीय कंपनियों पर दबाव बढ़ सकता है। ऐसे में भारतीय कंपनियों ने चीनी से आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की मांग की है।

इस सेक्टर की बात करें तो सबसे अधिक फोकस में हिंडाल्को का शेयर रहेगा, लेकिन हाल के सालों में इसका अमेरिका को आयात घटा है। इसके अलावा जिंदल स्टील पर भी निवेशकों की नजरें बनी रहेंगी।

आईटी सेक्टर – क्लाइंट के खर्च पर कटौती संभव

आईटी सेक्टर पर ट्रंप के टैरिफ ऐलानों का सीधा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह मुख्य रूप से सेवा-आधारित इंडस्ट्री है। किन अगर अमेरिका में व्यापार तनाव बढ़ता है, तो अमेरिकी कंपनियां अपने आईटी खर्च में कटौती कर सकती हैं। इससे TCS, Infosys और HCL Tech जैसी कंपनियों के रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है।

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