भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर खींचतान के बीच रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले 1 महीने में डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 2.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इससे क्या फायदा और क्या नुकसान होगा इस पर बात करते हुए सीएनबीसी अवाज के असीम मनचंदा ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड टेंशन बनी हुई है। डोनाल्ड ट्रंप कई बार टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है और कल उन्होंने बढ़े टैरिफ का ऐलान भी कर दिया। इन सबके बीच रुपया लुढ़कता जा रहा है।
रुपए की कमजोरी पर नजर डालें तो पिछले 1 महीने में इसमें 2.6 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले एक महीने में रुपया 85 रुपए प्रति डॉलर के स्तर से फिसलकर 88 डॉलर प्रति डॉलर के करीब आ गया है। रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर के करीब दिख रहा है। आज की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में बढ़त के एक दिन बाद गुरुवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मामूली बढ़त के साथ खुला। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 87.69 पर खुला था। जो पिछले बंद भाव 87.72 से 3 पैसे अधिक है।
रुपये में आई कमजोरी का फायदा एक हद तक निर्यातकों को होता है। क्योंकि निर्यात सस्ते हो जाते हैं दूसरी तरफ रुपये में आई कमजोरी से आयातित सामान अब महंगा पड़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइलों के दाम बढ सकते हैं, क्योंकि भारत हर साल 90 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रोनिक्स का आयात करता है। इसी तरह खाद्य तेलों का भी 60 फीसदी तक आयात होता है। इस लिहाज से दाले भी थोडी महंगी हो सकती है।
अब भारत और अमेरिका के बीच किसी भी तरह की डील सितंबर तक ही होने का अनुमान है। इसके बाद ही रुपये में मजबूती देखने को मिल सकती है।