यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) ने आज 12 दिसंबर को इस साल चौथी बार ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है। ECB ने ब्याज दरों को 0.25 फीसदी कम किया है, जिसके चलते अब यह 3.25 फीसदी से घटकर 3 फीसदी हो गया है। ECB ने कमजोर ग्रोथ के संकेतों, फ्रांस में राजनीतिक अराजकता एवं नए अमेरिकी आयात शुल्क की आशंकाओं के बीच ब्याज दर में कटौती का निर्णय लिया है। ECB ने मुद्रास्फीति के अपने लक्ष्य के करीब पहुंचने और अर्थव्यवस्था में कमजोरी के चलते ब्याज दरों में आगे और भी कटौती करने के लिए रास्ता खुला रखा है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति को दो फीसदी के तय लक्ष्य पर वापस लाने के प्रयास सफल हो रहे हैं। ईसीबी ने बयान में कहा, "मुद्रास्फीति में गिरावट की प्रक्रिया पटरी पर है।" एनालिस्ट्स ने कहा कि ब्याज दर में कटौती से ग्रोथ को बढ़ावा मिलना चाहिए। दरअसल, यूरो मुद्रा का उपयोग करने वाले 20 देशों के ग्रुप में महामारी के बाद आई तेजी सुस्त पड़ रही है।
ऐसी आशंका भी है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले महीने 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर नए आयात कर लगा सकते हैं। इससे यूरोप के व्यापार पर असर पड़ सकता है।
इसके अलावा यूरोपीय संघ के भीतर आंतरिक जोखिम भी बने हुए हैं। फ्रांस के प्रधानमंत्री मिशेल बर्नियर ने विश्वास मत खोने के बाद पांच दिसंबर को इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा जर्मनी का सत्तारूढ़ गठबंधन भी पिछले महीने टूट गया था।
यूरोपीय संघ में खुदरा मुद्रास्फीति रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से 2022 के अंत में 10.6 फीसदी के स्तर तक पहुंच गई थी। इस पर काबू पाने के लिए ईसीबी ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का तरीका अपनाया था। ECB यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में से उन 20 देशों के लिए ब्याज दर नीति तय करता है जो यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करते हैं।