इक्विटी बाजारों में चल रही गिरावट को रोकने के लिए सरकार की ओर से दखल दिए जाने की मांग बढ़ रही है। विश-लिस्ट के कुछ उपायों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में संभावित कटौती या उसे खत्म किया जाना शामिल है। इसके अलावा सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) को कम करने या यहां तक कि उसे खत्म करने के लिए भी नए सिरे से मांग की गई है। हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार 'वेट एंड वॉच' मोड में है और तुरंत किसी तरह के दखल की कोई योजना नहीं बना रही है।
एक सूत्र ने मनीकंट्रोल को बताया, "हमें उम्मीद है कि बाजार 6 सप्ताह या उससे भी कम वक्त में रिकवर हो जाएगा और टैक्स से जुड़े किसी भी बदलाव की घोषणा बजट में ही की जाएगी।" सरकार का मानना है कि इक्विटी बाजारों में गिरावट वैश्विक अनिश्चितता के कारण आ रही है और यह ओवरवैल्यूड मार्केट में करेक्शन है। इसलिए मार्केट पार्टिसिपेंट्स की ओर से सुझाए जा रहे उपाय जरूरी नहीं है कि मसलों को हल करें।
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ट्रांजेक्ट की गई सिक्योरिटीज की वैल्यू पर बनने वाला टैक्स है। सूत्र का कहना है कि STT वैसे भी कम है। इक्विटी शेयर की खरीद पर 0.1% STT लगाया जाता है। बजट 2025-26 में STT से हासिल रेवेन्यू के जरिए इनकम टैक्स कलेक्शन में 14.4% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। केंद्र ने 2024-25 के बजट में विभिन्न ट्रेडिंग सेगमेंट में STT दरों में वृद्धि की थी। ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए STT की दर 0.0625% से बढ़ाकर 0.1% कर दी गई। वहीं वायदा कारोबार में इसे 0.0125% से बढ़ाकर 0.02% कर दिया गया।
सरकार नहीं छोड़ सकती रेवेन्यू
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स को कम करने की अपील का जिक्र करते हुए सूत्र ने कहा कि सरकार रेवेन्यू को नहीं छोड़ सकती, खासकर तब जब LTCG इक्विटी बाजारों में गिरावट का कारण नहीं है। LTCG स्टॉक, रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड आदि जैसे कुछ लॉन्ग टर्म एसेट्स की बिक्री या ट्रांसफर से हासिल मुनाफे पर लगाया जाने वाला टैक्स है। जुलाई 2024 तक इंडेक्सेशन बेनिफिट्स की परवाह किए बिना, सभी एसेट क्लास में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर एक समान 12.5% की टैक्स रेट लागू होती है।