विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की मार्केट में दमदार वापसी हुई है। स्टॉक्स सूचकांकों के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) और सिंगल स्टॉक्स में उनकी होल्डिंग 10 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है। उनकी होल्डिंग इस लेवल पर तब पहुंची है, जब इंडियन मार्केट में दूसरी तिमाही के नतीजों का सीजन शुरू होने जा रहा है और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ चुका है। इंडेक्स फ्यूचर्स खासकर निफ्टी 50 में तेजी के सौदों से मार्केट में बुलिश सेंटिमेंट का संकेत मिलता है। 24 सितंबर को मार्केट के प्रमुख सूचकांक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। सेंसेक्स ने 85,000 प्वाइंट्स का पार किया था, जबकि निफ्टी 26,000 प्वॉइंट्स से ऊपर निकल गया था। हालांकि, दोनों सूचकांक की क्लोजिंग हल्की गिरावट के साथ हुई थी।
अगले कुछ हफ्ते मार्केट के लिए अहम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) का रुख इंडियन मार्केट को लेकर काफी पॉजिटिव है। लेकिन, निवेशकों को उतारचढ़ाव और संभावित गिरावट के लिए तैयार रहना चाहिए। अगले कुछ हफ्ते मार्केट के लिए काफी अहम साबित होंगे। मशहूर डेरिवेटिव्स ट्रेडर दिनेश नागपाल ने बताया है कि एफआईआई ने हर 1 पुट ऑप्शन लॉन्ग पर 1.11 कॉल ऑप्शन लॉन्ग किया है। इसे आम तौर पर शॉर्ट टर्म में उनके बुलिश स्टैंड के लेग के रूप में देखा जात है। नागपाल ने कहा कि अगर इस PE वर्सेज CE रेशियो में तेजी से बदलाव आता है तो हमें लॉन्ग्स को लेकर सावधान रहना होगा नहीं तो ट्रेलिंग लॉन्ग बनाए रखना होगा।
इसके उलट रिटेल क्लाइंट्स पिछले 10 दिन से काफी बेयरिश दिख रहे हैं। इसका मतलब है कि वे एफआईआई के मुकाबले बड़े नोशनल मार्क-टू-मार्क (M2M) लॉस में हैं। उधर, एफआईआई बीते एक महीने से काफी बुलिश रहे हैं और वे नए लॉन्ग ऐड कर रहे हैं। नागपाल ने कहा कि यह ऐसी स्थिति है, जिमें एफआईआई फायदे में दिख रहे हैं। उधर, इंडियाचार्ट्स डॉट कॉम के फाउंडर रोहित श्रीवास्तव का कहना है कि एफआईआई की पोजिशन 3.6 कॉन्ट्रैक्ट्स की है, जो इस साल 4 जुलाई को दर्ज 3.92 लाख कॉन्ट्रैक्ट्स के करीब है। यह 2016 से सबसे हाई लेवल है।
FII की पोजिशन काफी हाई लेवल पर
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से मार्केट के टॉप करीब 1.9 लाख कॉन्ट्रैक्ट्स पर रहे हैं। इसका मतलब है कि एफआईआई की अभी की पोजिशन बहुत ज्यादा है। यह इस बात का संकेत है कि इंडियन मार्केट को लेकर एफआईआई का आउटलुक काफी पॉजिटिव है। लेकिन, इस तरह के बुलिशनेस में सावधानी जरूरी है। निफ्टी के मामले में आगे बेयरिश फेज की शुरुआत हो सकती है। हाई पोजिशन के बावजूद स्टॉक रोटेशन की वजह से मार्केट में बड़ी गिरावट नहीं आई है।
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26 सितंबर को एक्सपायरी पर तस्वीर साफ होगी
महीने का अंत करीब आने के साथ फ्यूचर्स और ऑप्शंस की एक्चुअल पोजिशन को लेकर तस्वीर साफ होगी। खासकर गुरुवार को मार्केट क्लोजिंग के बाद इसका पता चलेगा, क्योंकि उस दिन एफएंडओ की मंथली एक्सपायरी है। इससे पता चलेगा कि इनवेस्टर्स अपने पोजिशन को रोलओवर करते हैं या अपनी पोजिशन खत्म करते हैं। अगर लॉन्ग रोलओवर किए जाते हैं तो मार्केट पर दबाव बढ़ सकता है।