FIIs's favourite investment bet: भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती आगे भी बनी रहने वाली है और विदेशी निवेशकों के बढ़ते निवेश से इस बात की पुष्टि हो रही है। सितंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 219 करोड़ डॉलर की खरीदारी की है जो बाकी एमर्जिंग मार्केट से अधिक है। वहीं वियतनाम, ब्राजील, दक्षिण कोरिया और ताईवान से विदेशी निवेशकों ने निकासी की है। भारतीय मार्केट पर विदेशी निवेशकों का भरोसा दमदार दिख रहा है आगे भी भारी निवेश आने की उम्मीद है लेकिन एक्सपर्ट्स ने सतर्क किया है कि इस लिक्विडिटी को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि कंपनियां के तिमाही नतीजे शानदार आए।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख (इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी) गौरंग शाह को उम्मीद है कि भारतीय मार्केट में आगे भी निवेश आएगा लेकिन उन्होंने सावधान भी किया है। उन्होंने कहा कि भारी-भरकम आवक समस्या खड़ी कर सकती है, अगर ब्लॉक डील, बल्क डील और आईपीओ के जरिए ये पैसे निवेश न हों। गौरंग का कहना है कि जो लिक्विडिटी बढ़ रही है यानी कि जो पैसा आ रहा है, उसे हैंडल करने के लिए देश की अपनी जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार और कंपनियों के कमाई की ग्रोथ को टिकाऊ रखना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी फेड रेट के 0.50 फीसदी रेट कट के ऐलान के बाद अभ बाकी उबरते देशों की तुलना में भारत FPIs का पसंदीदा विकल्प बन सकता है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर चोक्कालिंगम जी का कहना है कि भारतीय मार्केट की तेजी का फायदा उठाने से FPIs चूक गए थे लेकिन अब वे इसका फायदा उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। चोक्कालिंगम का कहना है कि वे स्मॉल और मिडकैप की बजाय लॉर्जकैप शेयरों पर दांव लगाएंगे।
इस साल के आठ में से तीन महीने FIIs ने की जमकर खरीदारी
इस साल के शुरुआती आठ महीने यानी जनवरी से अगस्त तक बात करें तो तीन महीने FIIs ने बिकवाली से अधिक खरीदारी की। हालांकि अगस्त में ही अकेले FIIs ने 51.8 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले।
अब देशवार स्थिति की बात करें तो अगस्त महीने में सबसे अधिक ब्राजील में विदेशी निवेशकों ने पैसे डाले। ब्राजील में 170 करोड़ डॉलर का निवेश गया। इसके बाद इंडोनेशिया में 113 करोड़ डॉलर, मलेशिया में 49.1 करोड़ डॉलर और फिलीप्पींस में 14.9 करोड़ डॉलर का निवेश गया।
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