जेफरीज़ (Jefferies) के विश्लेषकों ने अपनी एशिया प्रशांत रिपोर्ट में कहा है कि भारत में विदेशी निवेशकों की पोजीशन इस समय काफी हल्की हो गई है। ऐसे में वे किसी करेक्शन को खरीदारी के मौके के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। उनका मानना है कि भारत का इकोनॉमिक आउटलुक काफी मजबूत है। देश की इकोनॉमी लगभग 7 फीसदी की मल्टी ईयर जीडीपी ग्रोथ के साथ काफी 'मजबूत' है। देश विस्तार योजनाओं पर होने वाला पूंजीगत व्यय चक्र शुरू हो चुका है। आगे इसमें और तेजी आती दिखेगी। इन विश्लेषकों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में निफ्टी की रेवेन्यू ग्रोथ रेट 15 फीसदी के आसपास रह सकती है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए जेफ़रीज़ के विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी निवेशक गिरावट में भारती बाजारों में खरीदारी कर सकते हैं। गौरतलब है कि नवंबर 2023 में, FII की भारत में हिस्सेदारी दशक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी। हालांकि 15 दिसंबर को एफआईआई/एफपीआई नेट बॉयर रहे। इन्होंने कल 37,677.58 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 28,438.15 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
जेफरीज की इंडिया स्ट्रेटजी टीम को बैंक, पावर, टेलीकम्युनिकेशन, इंडस्ट्रियल और प्रॉपर्टी जैसे घरेलू इकोनॉमिक साइकिल से जुड़े शेयर पसंद हैं। जबकि वे आईटी, कंज्यूमर और आरआईएल पर सतर्क नजरिया रखते हैं। विश्लेषकों ने इस रिपोर्ट में आगे लिखा है कि उनकी क्वांट टीम भी वैल्यू और स्मॉल कैप को ज्यादा पसंद कर रही है।
कुल मिलाकर, ब्रोकरेज का मानना है कि दुनिया भर के बड़े सेंट्रल बैंक 2024 में ग्रोथ बढ़ाने पर फोकस करेंगे। एशिया के लिए एक और अच्छी बात ये है कि डॉलर में नरमी आ रही है इससे उभरते बाजारों की तरफ विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा, हालांकि अमेरिका की सुस्ती कुछ हद तक दबाव बना सकती है।
पहले की एक रिपोर्ट में जेफरीज ने भारत के लिए पॉजिटिव नजरिया जाहिर किया है। उसका कहना है कि भारत में मल्टी ईयर पूंजीगत व्यय का चक्र शुरू हो चुका है, देश में राजनीतिक स्थिरता ओर नीतिगत निरंतरता बनी रहने की उम्मीद है। साथ ही मार्जिन में सुधार हो रहा है जो कंपनियों की आय में बढ़त का संकेत है। ऐसे में किसी संभावित वैश्विक मंदी का भारत पर सीमित प्रभाव ही होना चाहिए।
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