लगातार 14वें कारोबारी दिन निफ्टी का एफएमसीजी इंडेक्स Nifty FMCG आज लाल रहा। इतने लंबे समय तक इस इंडेक्स में आज तक कभी गिरावट नहीं रही। इन 14 दिनों की गिरावट में निवेशकों के 2.7 लाख करोड़ रुपये साप हो गए। इससे यह संकेत मिल रहा है कि खपत बढ़ाने के लिए बजट में टैक्स से जुड़ी जिन राहतों का ऐलान हुआ था, वह थोड़े समय के लिए ही थी और अब फिर से कमजोर मांग और मार्जिन के दबाव पर मार्केट का ध्यान चला गया है। बजट के बाद शुरुआती पॉजिटिव रुझानों के बाद निफ्टी एफएमसीजी पर 3 फरवरी से दबाव बना और लगातार 14 कारोबारी दिनों में यह 11 फीसदी टूट गया।
इस बिकवाली की आंधी में निफ्टी एफएमसीजी में सबसे अधिक झटका सिगरेट कंपनी आईटीसी को लगा। 14 दिनों में इसने निवेशकों के 77600 करोड़ रुपये डुबोए हैं। इसके बाद हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड (HUL) का मार्केट कैप इस दौरान 64,500 करोड़ रुपये घटा है। बाकी कंपनियों की बात करें तो नेस्ले इंडिया (Nestle India) का मार्केट कैप इस दौरान 12,400 करोड़ रुपये और वरुण बेवरेजेज (Varun Beverages) का मार्केट कैप 30,000 करोड़ रुपये घटा है। शेयरों की बात करें तो इन 14 दिनों में वरुण बेवरेजेज और कोलगेट-पामोलिव इंडिया (Colgate-Palmolive India) के शेयर 16-16 फीसदी टूटे हैं तो रेडिको खेतान (Radico Khaitan), आईटीसी और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Godrej Consumer Products) के शेयर 14-15 फीसदी तक फिसले हैं।
क्यों दबाव में हैं FMCG Stocks?
Nielsen IQ डेटा के मुताबिक छोटी एफएमसीजी कंपनियों ने बड़ी कंपनियों के मुकाबले बेहतर परफॉर्म किया है और दिसंबर तिमाही के दौरान उनका सेल्स वॉल्यूम 8%-10% बढ़ा है। इसकी तुलना में एफएमसीजी की दिग्गज कंपनियों का सेल्स वॉल्यूम 0%-5% बढ़ा है। मार्केट एनालिस्ट्स का मानना है कि महंगाई पर केंद्रीय बैंक आरबीआई के नजरिए और न्यूट्रल मॉनीटरी पॉलिसी रुझान ने रेट में आगे कटौती की संभावना कम कर दी जिससे मार्केट को झटका लगा है। आरबीआई ने शुक्रवार 7 फरवरी को रेपो रेट को 0.25 फीसदी घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया था और इस वित्त वर्ष 2025 के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) इनफ्लेशन के 4.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है। महंगाई का झटका कैसे लगा, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि दिसंबर तिमाही के अर्निंग्स कॉल में ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने कहा था कि यह जिन कमोडिटीज की खरीदारी करती है, उससे इसे 11 फीसदी का इनफ्लेशन रेट झेलना पड़ा।