FMCG stocks : बाजार में अब तक तीन दिग्गज FMCG कंपनियों के नतीजे आ गए हैं। बाजार को नतीजे पसंद नहीं आए हैं। नतीजों से पता चलता है कि बढ़ती महंगाई की मार FMCG कंपनियों पर पड़ी है। FMCG कंपनियों की डिमांड अब भी धीमी है। FMCG कंपनियों का आगे का गाइडेंस भी कमजोर है। HUL के चौथी तिमाही के नतीजे अनुमान के मुताबिक ही रहे हैं। वॉल्यूम ग्रोथ उम्मीद से ज्यादा रही है, लेकिन मार्जिन को लेकर कमजोर गाइडेंस और कीमतों में सिंगल डिजिट ग्रोथ की आशंका से बाजार निराश। HUL का शेयर ऊपरी स्तरों से 6 फीसदी से ज्यादा फिसला है। वहीं नेस्ले में भी रिजल्ट के बाद दबाव दिख रहा है। चौथी तिमाही में कंपनी के प्रॉफिट और मार्जिन दोनों में नरमी दिखी है। नतीजों के बाद FMCG कंपनियों की कैसी तस्वीर उभर रही है,मैनेजमेंट कमेंट्री कैसी है? आइए इसको समझते हैं।
नतीजों के बाद नेस्ले का मैनेजमेंट
नतीजों के बाद नेस्ले के मैनेजमेंट ने कहा है कि कॉफी की कीमतें अब भी मजबूत बनी हुई हैं। Cocoa की कीमतें घटी हैं। लेकिन अभी भी ज्यादा बनी हुई हैं। खाद्य तेलों की कीमतों में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। गर्मी शुरू होते ही दूध की कीमतें बढ़ी है।
नतीजों के बाद HUL का मैनेजमेंट
HUL के मैनेजमेंट ने कहा है कि FMCG बाजार में अब भी डिमांड कमजोर है। शहरी इलाकों डिमांड कमजोर है। कीमतों में लो सिंगल डिजिट ग्रोथ का अनुमान है। पहले के 23-24 फीसदी गाइडेंस के मुकाबले EBITDA मार्जिन 22-23 फीसदी पर रह सकती है।
नतीजों के बाद टाटा कंज्यूमर का मैनेजमेंट
नतीजों के बाद टाटा कंज्यूमर के मैनेजमेंट ने कहा है कि FY26 में डबल डिजिट आय ग्रोथ का अनुमान है। चाय की कीमतें बढ़ने से EBITDA मार्जिन 110 बेसिस प्वाइंट घटकर 25-30 फीसदी रह सकता है। EBITDA मार्जिन में 50-80 बेसिस प्वाइंट सुधार का अनुमान है।
FMCG सेक्टर पर एक्सपर्ट की राय
पूरे FMCG सेक्टर पर चर्चा करते हुए नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Nuvama Institutional Equities) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अवनीश रॉय ने कहा कि HUL के शेयरों ने नतीजों के तुरंत बाद तो तेजी आई लेकिन बाद में शेयर लाल निशान में चला गया। मार्जिन गाइडेंस में कटौती बाजार को पसंद नहीं आई है। लेकिन किसी स्टॉक के प्रदर्शन के लिए सिर्फ मार्जिन की अहम नहीं होता। उसका ओवरऑल आउटलुक अहम होता है। कंपनी ने अपने डिटर्जेंट के भाव में कटौती की है। कंपनी मार्जिन को ज्यादा अहमियत न देकर वॉल्यूम ग्रोथ और मार्केट शेयर बढ़ाने पर फोकस कर रही है। मिडियम से लॉन्ग टर्म में ये रणनीति कंपनी के लिए अच्छा काम करेगी। अगले 3-4 महीने में कच्चे माल की कीमतों में और कमी हो सकती है। इसका फायदा एफएमसीजी कंपनियों को मिलेगा।
अवनीश रॉय ने आगे कहा कि कच्चे तेल, नारियल, गेहूं और पाम ऑयल जैसी कमोडिटीज की कीमतों में गिरावट की वजह से दूसरी तिमाही के एफएनसीजी कंपनियों के मार्जिन में बढ़त देखने को मिलेगी। लेकिन एचयूएल के मामले में बात कुछ अलग है। कच्चे माल की कीमतों में कमी आने पर कंपनी प्राइस कट कर देगी। डिटर्जेंट के भाव में कटौती करके उसने अपनी इस रणनीति के संकेत दे दिए है। कंपनी का फोकस मार्केट शेयर और वॉल्यूम बढ़ाने पर है। इस लिए एचयूएल कच्चे माल में नरमी का फायदा ग्राहकों के दे रही है। एचयूएल की रणनीति का असर हर कंपनी पर नहीं होगा।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।