नहीं थम रही FPI की सेलिंग, अगस्त में अब तक भारतीय शेयरों से निकाले ₹20975 करोड़

FPI's Selling in August: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का रुख आगे टैरिफ पर गतिविधियों से तय होगा। जुलाई में FPI ने शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये निकाले थे। S&P ने भारत की साख को BBB- से बढ़ाकर BBB- कर दिया है। इससे FPI के सेंटिमेंट को बल मिल सकता है

अपडेटेड Aug 17, 2025 पर 1:28 PM
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मार्च से जून तक FPI ने भारतीय शेयर बाजार में 38,673 करोड़ रुपये डाले थे।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त के पहले 15 दिनों में भारतीय शेयर बाजार में लगभग 21,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड को लेकर तनाव, कंपनियों के पहली तिमाही के उम्मीद से कमजोर नतीजों और रुपये में गिरावट के बीच FPI सेलर बने हुए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इसके साथ ही 2025 में अब तक FPI भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने 14 अगस्त तक भारतीय शेयरों में 20,975 करोड़ रुपये की नेट सेलिंग की। इससे पहले जुलाई में उन्होंने शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये निकाले थे। मार्च से जून तक FPI ने भारतीय शेयर बाजार में 38,673 करोड़ रुपये डाले थे।

हो सकता है कि टल जाए एडिशनल टैरिफ


FPI का रुख आगे टैरिफ पर गतिविधियों से तय होगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एंजल वन में CFA-सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकारजावेद खान ने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच तनाव में हालिया कमी और नए प्रतिबंध नहीं लगने की वजह से लगता है कि भारत पर प्रपोज्ड 25 प्रतिशत का एडिशनल टैरिफ 27 अगस्त से लागू होने की संभावना नहीं है। यह बाजार के लिए स्पष्ट रूप से सकारात्मक संकेत है। साथ ही S&P ने भारत की साख को BBB- से बढ़ाकर BBB- कर दिया है। इससे FPI के सेंटिमेंट को और बल मिल सकता है।

मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है, ‘‘FPI की ओर से लगातार सेलिंग की वजह मुख्य रूप से वैश्विक अनिश्चितताएं हैं। भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने, और अमेरिका और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों के रुख को लेकर बढ़ती अनिश्चितता ने जोखिम उठाने की धारणा को कमजोर किया है।’’ आगे कहा कि इसके साथ ही हाल में अमेरिकी डॉलर में आई मजबूती की वजह से भी भारत जैसे उभरते बाजारों का आकर्षण कम हुआ है।

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जियोजीत इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार के मुताबिक, कंपनियों के कमजोर नतीजों और हाई वैल्यूएशन की वजह से भी FPI सेलर बने हुए हैं। जहां तक बॉन्ड मार्केट की बात है तो अगस्त में अब तक FPI ने बॉन्ड में जनरल लिमिट के तहत 4,469 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 232 करोड़ रुपये डाले हैं।

Ritika Singh

Ritika Singh

First Published: Aug 17, 2025 1:25 PM

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