FPI Investment in India: मजबूत डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने के चलते विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं। मौजूदा मैक्रोइकनॉमिक परिस्थितियों के चलते भारतीय बाजार में FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) का निवेश प्रभावित हो रहा है। एफपीआई का निवेश बहुत उतार-चढ़ाव भरा दिख रहा। पिछले कारोबारी सप्ताह 19 सितंबर से 23 सितंबर की बात करें तो एफपीआई ने भारतीय शेयरों में निवेश से अधिक बिकवाली की।
ओवरऑल बात करें तो घरेलू मार्केट के लिए स्थिति अभी भी पॉजिटिव है क्योंकि इस पूरे महीने अब तक एफपीआई नेट बॉयर्स है यानी कि बिकवाली से अधिक खरीदारी हुई है। हालांकि अगस्त के मुकाबले सितंबर में अब तक निवेश कम हुआ है।
अगस्त में एफपीआई ने किया था इस साल का रिकॉर्ड निवेश
एनएसडीएल (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) के मुताबिक सितंबर 2022 में 23 सितंबर तक घरेलू इक्विटी मार्केट में 8638 करोड़ रुपये निवेश हैं। हालांकि इसके एक हफ्ते 16 सितंबर तक एफपीआई का निवेश 12084 करोड़ रुपये का था। अगस्त की बात करें तो पिछले महीने एफपीआई ने इस साल की रिकॉर्ड खरीदारी की थी।
अगस्त में एफपीआई ने 51204 करोड़ रुपये भारतीय शेयरों में डाले थे जबकि जुलाई में महज 4989 करोड़ रुपये का निवेश आया था। एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से लेकर जून तक एफपीआई नेट सेलर्स रहे यानी कि उन्होंने लिवाली से ज्यादा बिकवाली की।
इस कारण बढ़ा बिकवाली का दबाव
सितंबर के मध्य में सेंसेक्स ने 60 हजार और निफ्टी 50 ने 18 हजार का लेवल पार कर दिया था। हालांकि इसके बावजूद वैश्विक मार्केट में वोलेटाइल सेंटिमेंट्स के चलते एफपीआई का भी मूड उतार-चढ़ाव वाला रहा। मंदी की आशंका और इकनॉमिक सुस्ती से जुड़ी आशंका के चलते पिछले कुछ कारोबारी दिन बिकवाली का दबाव रहा। अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की। यह लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी थी और इसके बाद भी बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं। इसके चलते बिकवाली का दबाव और बढ़ा।