कमोडिटी की कीमतों में नरमी आने के संकेत दिख रहे हैं। इंडस्ट्री और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में भारी मात्रा में इस्तेमाल होने वाले कॉपर के भाव में मार्च 2020 के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट देखने को मिल रही है। आज इस कमर्शियल मेटल में शांघाई पर 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। 1 हफ्ते में कॉपर 7 फीसदी टूटा है।
कमोडिटी कीमतों में गिरावट बढ़ती महंगाई में राहत का संदेश लेकर आई है। कमोडिटी में इस गिरावट को बाद दुनिया भर के इक्विटी मार्केट राहत की सांस लेते दिख रहे हैं। 24 जून यानी आज के कारोबार में ग्लोबल इक्विटी मार्केट हरे निशान में दिख रहा है। इनफ्लेशन बास्केट में सबसे बड़ा योगदान करने वाले ऑयल और फूड इनपुट प्राइस में गिरावट देखने को मिल रही है। इस हफ्ते ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स में 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और ये 102.62 डॉलर प्रति बैरल के आसपास दिख रहा है। इस बीच बेंचमार्क ग्रेन प्राइस शिकागो व्हीट 9.42 डॉलर प्रति बुशेल (bushel) पर दिख रहा है। ये इस साल के मार्च के बाद का इसका सबसे निचला स्तर है।
JPMorgan का कहना है कि इंडियन मेटल स्टॉक्स इस समय काफी अच्छे रिस्क-रिवॉर्ड रेशियो पर नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले एक महीने के दौरान मेटल इंडेक्स में 20-30 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। वहीं, इसी अवधि में Nifty सिर्फ 6 फीसदी गिरा है।
रायटर्स के मुताबिक पूरे यूके, यूएस, जापान और यूरो जोन में फैक्ट्री गतिविधियों में मंदी के संकेत दिख रहे हैं। यूएस मैं फैक्ट्रियां उनको मिल रहे ऑर्डर में पिछले दो साल में पहली बार गिरावट की बात कह रही हैं।
नेटवेस्ट मार्केट (NatWest markets)के रणनीतिकार ब्रायन डेंजरफील्ड ( Brian Daingerfield) ने 24 जून को रॉयटर्स से हुई बातचीत में कहा कि कमोडिटी की कीमतें में आई गिरावट को देखते हुए ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए डॉक्टर ने कोई दवा दे दी हो।
पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कमोडिटी की ऊंची कीमतों को लेकर बनी चिंता के चलते शेयर बाजार के इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। लेकिन कमोडिटी की कीमतों में गिरावट के साथ ही ग्लोबल इक्विटी मार्केट एक बार फिर पटरी पर आता नजर आ रहा है। MSCI का जापान के बाहर का एशिया-प्रशांत शेयरों का सबसे बड़ा सूचकांक एक फीसदी चढ़ा है। वहीं, जापान के निक्केई में आज 0.8 फीसदी तेजी देखने को मिली है। वहीं इस सप्ताह इसमें 1.6 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। इसी तरह 23 जून के खत्म हुए कारोबारी सत्र में S&P 1 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ था।
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