बीते एक हफ्ते में मध्यपूर्व में हालात बदल गए हैं। इजराइली हमले में हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद यह माना जा रहा था कि ईरान जवाबी हमला करेगा। 1 अक्टूबर को ईरान ने इजराइल पर एक साथ दर्जनों मिसाइलें दागी। इजराइल ने कहा है कि इसका अंजाम ईरान को भुगतान पड़ेगा। इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि अब ईरान खुलकर इस जंग का हिस्सा बन चुका है। यह माना जा रहा था कि ईरान के इस लड़ाई में शामिल होने पर हालात खराब हो सकते हैं। इसका असर दुनियाभर के स्टॉक्स मार्केट्स पर पड़ेगा। लेकिन, दुनियाभर के स्टॉक्स मार्केट्स पर इसका असर अनुमान से कम दिख रहा है।
अमेरिका और यूरोप में मिलाजुला रुख
अमेरिका (US Markets) में 2 अक्टूबर को प्रमुख सूचकाकों में मिलाजुला रुख दिखा। यूरोप में 3 अक्टूबर को मार्केट्स पर दबाव दिखा, लेकिन यह बहुत ज्यादा नहीं है। इंग्लैंड का प्रमुख सूचकांक हरे निशान में था। इसका मतलब है कि यूरोप और एशियाई स्टॉक्स एक्सचेंज (Asian Stock Exchanges) में शेयरों की कीमतों में बड़ी गिरावट नहीं आई है। ब्रेंट क्रूड में उछाल आया है। यह चढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। यह एक हफ्ते का क्रूड का सबसे हाई लेवल है। गोल्ड की कीमतों में पहले से तेजी थी। यह इस साल करीब 30 फीसदी चढ़ चुका है। मध्यपूर्व क्राइसिस के बावजूद यह नई ऊंचाई पर पहुंचने में नाकाम रहा है।
इंडियन मार्केट्स में गिरावट की अपनी वजहें
इंडिया की बात करें तो 3 अक्टूबर को इंडियन मार्केट्स में बड़ी गिरावट आई। लेकिन, यह ध्यान रखना होगा कि करीब एक हफ्ते से इंडियन मार्केट्स दबाव में दिख रहे थे। 3 अक्टूबर से पहले के 5 कारोबारी सत्रों में निफ्टी 480 अंक गिर चुका था। इसकी बड़ी वजह मुनाफावसूली है। इंडियन मार्केट्स की वैल्यूशन को लेकर काफी समय से चिंता जताई जताई जा रही थी। यह दुनिया के बड़े बाजारों में से सबसे महंगा बाजार बन चुका था। इसलिए, पहले से बाजार में बड़े करेक्शन का अनुमान था। 3 अक्टूबर को इंडियन मार्केट को गिरने के लिए कई वजहें मिल गईं। इनमें चीन में स्टॉक्स में आई तेजी, मध्यपूर्व में बढ़ता तनाव और एफएंडओ के नियम शामिल हैं।
ग्लोबल स्टॉक मार्केट्स का सेंटिमेंट स्ट्रॉन्ग
जर्मनी की एसेट मैनेजमेंट कंपनी DWS के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर बोर्न जेश ने कहा कि ईरान का जंग में सीधे तौर पर शामिल होना खतरनाक है। लेकिन, पिछली बार जब उसने इजराइल पर मिसाइलें दागी थीं तब भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। इसलिए बड़ा सवाल अमेरिका के इस जंग में शामिल होने को लेकर है। इसलिए फिलहाल रिस्क है, लेकिन यह बहुत ज्यादा नहीं है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के इंटरेस्ट रेट में कमी के फैसले से दुनियाभर में पॉजिटिव मैसेज गया है। अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में कमी और अमेरिकी इकोनॉमी की बेहतर सेहत का पॉजिटिव असर स्टॉक्स पर पड़ा है।
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लंबे समय बाद चीन के स्टॉक मार्केट्स में तेजी
इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाल में इजराइल मसले से जुड़ी खबरों का ज्यादा असर मार्केट के सेंटिमेंट्स पर नहीं पड़ा है। पिछले हफ्ते चीन में सरकार और केंद्रीय बैंक की तरफ से इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने के उपायों का भी मार्केट के मूड पर अच्छा असर पड़ा है। इसका मतलब है कि इस बार स्टॉक मार्केट्स पर मध्यपूर्व में टेंशन का उतना असर नहीं दिख रहा है, जितना पहले दुनिया में युद्ध भड़कने पर स्टॉक मार्केट्स पर दिखता था।