छोटे पीएसयू बैंकों का विलय बड़े सरकारी बैंकों में करने की तैयारी, जानिए क्या है सरकार का प्लान

सरकार अगले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों के रीस्ट्रक्चरिंग प्लान का फाइनल रोडमैप पेश कर देगी। सरकार कई छोटे पीएसयू बैंकों की जगह कुछ बड़े सरकारी बैंक चाहती है। सरकार का मानना है कि अगले चरण की इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए यह जरूरी है

अपडेटेड Nov 27, 2025 पर 7:47 PM
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इससे पहले सरकार ने 2017 से 2020 के बीच कुछ छोटे पीएसयू बैंकों का विलय कुछ बड़े सरकारी बैंकों में किया था।

देश में सरकारी बैंकों की तस्वीर बदलने जा रही है। करीब 5 साल बाद सरकार एक बड़े रीस्ट्रक्चरिंग प्लान पर विचार कर रही है। इसमें कुछ छोटे पीएसयू बैंकों का विलय कुछ बड़े सरकारी बैंकों में किया जा सकता है। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया जैसे छोटे पीएसयू बैंकों का विलय सरकार पीएनबी, बीओबी और एसबीआई जैसे बड़े सरकारी बैंकों में कर सकती है।

अगले वित्त वर्ष में आ सकता है फाइनल प्लान

सरकार ने अभी पीएसयू बैंकों के रीस्ट्रक्चरिंग प्लान के बारे में आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक, अभी इस प्रस्ताव पर शुरुआती बातचीत हो रही है। इस बारे में अगले वित्त वर्ष में भी बातचीत जारी रहने की उम्मीद है। हालांकि, सरकार अगले वित्त वर्ष में ही रीस्ट्रक्चरिंग प्लान का फाइनल रोडमैप पेश कर देगी। सरकार का प्लान कई छोटे पीएसयू बैंकों की जगह कुछ बड़े सरकारी बैंक बनाने की है। सरकार का मानना है कि अगले चरण की इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए यह जरूरी है।


बड़े सरकारी बैंकों से होंगे कई तरह के फायदे

पीएसयू बैंकों की रीस्ट्रक्चरिंग से इंडस्ट्री को क्रेडिट का फ्लो बढ़ेगा। बैंकों की ऑपरेशनल एफिशियंसी में इम्प्रूवमेंट आएगा। प्रशासनिक कामों में कमी आएगी। साथ ही सरकारी बैंक प्राइवेट और फिनटेक प्लेयर्स को कड़ी टक्कर दे सकेंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए क्रेडिट फ्लो बेहतर होगा। बड़े सरकारी बैंक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लोन दे सकेंगे। नीति आयोग ने सरकार को बैंकिंग सेक्टर में रिफॉर्म्स करने की सलाह दी है।

नीति आयोग ने बैंकिंग रिफॉर्म्स की सलाह दी है

नीति आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा था कि सिर्फ एसबीआई, पीएनबी, बीओबी और केनरा बैंक जैसे कुछ बड़े सरकारी बैंक सरकार के कंट्रोल में होने चाहिए। उसने कहा था कि IOB और CBI जैसे छोटे सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन, रीस्ट्रक्चरिंग या विलय के बारे में सरकार सोच सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार के मौजूदा प्लान में नीति आयोग की सिफारिशों को भी ध्यान में रखा गया है। हालांकि, इकोनॉमी की जरूरत के हिसाब से सरकार फाइनल रीस्ट्रक्चरिंग प्लान में कुछ बदलाव कर सकती है।

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2017-2020 के बीच हुआ था बैंकों का विलय

इससे पहले सरकार ने 2017 से 2020 के बीच कुछ छोटे पीएसयू बैंकों का विलय कुछ बड़े सरकारी बैंकों में किया था। इससे सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी। तब ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय PNB में किया था। सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में हुआ था। आंध्र बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) में किया गया था। इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में हुआ था।

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