तमाम एनालिस्ट्स का मानना है कि जीएसटी ढ़ाचे में बदलाव से खपत से जुड़े शेयरों की ओर निवेशकों का रुझान बढ़ेगा। वहीं, जापान स्थित ब्रोकरेज नोमुरा का कहना है कि जीएसटी ढ़ाचे में बदलाव से कैपिटल गुड्स सेक्टर से जुड़े शेयरों को भी फायदा हो सकता है। 22 सितम्बर 2025 की प्रभावी तिथि से मौजूदा चार-स्तरीय जीएसटी सिस्टम की जगह 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो स्तरीय जीएसटी सिस्टम लागू होगा। इसके साथ ही सिन गुड्स और विलासिता की वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की विशेष दर भी लागू होगी।
यहां कैपिटल गुड्स से संबंधित विभिन्न सेक्टरों पर एक नजर डाली गई है, जिनको नए जीएसटी सिस्टम से फायदा होगा :
डिफेंस (पॉजिटिव) : नोमुरा का कहना है कि डिफेंस खरीद और स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग इंडायरेक्ट टैक्स स्ट्रक्चर के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। हाल ही में जीएसटी दरों में संशोधन से जरूरी उपकरणों, कलपुर्जों और सब-सिस्टम पर करों मे काफी कटौती की गई है। ब्रोकरेज ने कहा कि हाई वैल्यू के आयात और जरूरी पुर्जों को आईजीएसटी से छूट दिए जाने से बजट एफिशिएंसी में बड़ा सुधार होगा।
रिन्यूएबल एनर्जी (पॉजिटिव) : नोमुरा का कहना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर पूंजीगत व्यय के प्रति काफी संवेदनशील है। जीएसटी में कटौती सीधे तौर पर प्रोजेक्ट के IRRs को प्रभावित करता है। ब्रोकरेज का कहना है कि जरूरी इनपुट और उपकरणों पर कर की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से इस सेक्टर को काफी फायदा होगा।
ब्रोकरेज ने आगे कहा कि जीएसटी में यह कटौती जीवाश्म ईंधन के मुकाबले सौर एनर्जी को किफायती बना सकती है। इससे छतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाने में तेजी आ सकती है और 2030 के लिए तय भारत के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को हासिल करने में सपोर्ट मिल सकता है।"
इंडस्ट्रियल मशीनरी (पॉजिटिव) : हाई जीएसटी दरों के चलते मैन्यूफैक्चरिंग और एमएसएमई की पूंजीगत लागत काफी ज्यादा बढ़ गई थी। अब इन पर लागू जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से काफी राहत मिली है। इस कदम से तमाम सेक्टरों में मशीनरी की लागत कम होगी, आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमत में सुधार होगा।
स्पार्क/कम्प्रेशन इग्निशन इंजन, इंजन पंप, गैरेज और इंजन के ईंधन/लुब्रिकेंट पंप, इग्निशन/स्टार्टर उपकरण (मैग्नेट्स, प्लग, कॉइल, अल्टरनेटर) जैसी वस्तुओं और अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। इस कदम से ऑटोमोटिव, जेनसेट, कृषि उपकरण और परिवहन क्षेत्रों की इनपुट लागत में कमी आएगी। कृषि और लॉजिस्टिक्स सेक्टरों के एमएसएमई को भी फायदा होगा और सभी सेक्टरों में रखरखाव लागत कम होगी।
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