वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाला 18% जीएसटी घटाकर अब शून्य कर दिया गया है। इस कदम को आम ग्राहकों के लिए राहत की तरह माना जा रहा है। लेकिन ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि इससे बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ मिलना बंद हो जाएगा, जिसके चलते इंश्योरेंस प्रीमियम में 1-4% तक महंगे हो सकते हैं।
हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी लंबे समय से विवादित मुद्दा रहा है। एक ओर इंडस्ट्री और ग्राहक इस पर टैक्स कम करने की मांग कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकारें रेवन्यू में कमी की आशंका से हिचक रही थीं।
ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल (Emkay Global) ने कहा कि GST का घटना ग्राहकों के लिहाज से अच्छी खबर है। लेकिन इससे कई सवाल भी खड़े हुए हैं। जैसे किन-किन प्रोडक्ट कैटेगरी पर इसका असर होगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को लेकर बीमा कंपनियों को किस तरह की राहत मिलेगी।
ग्राहकों को मिलेगा सीधा फायदा
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि जीएसटी शून्य होने से ग्राहकों का प्रीमियम खर्च सीधे घटेगा और बीमा कंपनियों को यह लाभ ग्राहकों तक पहुंचाना ही होगा। यानी ग्राहकों को अब प्रीमियम भुगतान पर 18% अतिरिक्त जीएसटी नहीं चुकाना होगा।
कंपनियों के लिए नई चुनौती
हालांकि, अब बीमा कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। पहले वे एजेंट कमीशन और दूसरे सेवाओं पर दिए गए जीएसटी को ITC के रूप में एडजस्ट कर लेती थीं। लेकिन अब टैक्स शून्य होने से यह सुविधा समाप्त हो गई है और कंपनियों को यह खर्च खुद उठाना पड़ेगा। खर्च की भरपाई के लिए कंपनियां बेस प्रीमियम बढ़ा सकती हैं।
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA का कहना है कि बीमा कंपनियां अपने लागत की भरपाई के लिए प्रीमियम 1-4% तक बढ़ा सकती हैं। SBI Life का ऑपरेटिंग खर्च सबसे कम है। ऐसे में हो सकता है कि उसके प्रीमियम में सबसे न्यूनतम बढ़ोतरी हो। फिर भी, यह बोझ ग्राहकों के लिए पहले से कम रहेगा क्योंकि अब उन्हें 18% जीएसटी नहीं चुकाना होगा।
प्रीमियम पर कैसे पड़ेगा असर?
मान लीजिए किसी पॉलिसी का प्रीमियम 100 रुपये है। पहले इस पर 18% जीएसटी जोड़कर ग्राहक से 118 रुपये वसूला जाता था। अगर बीमा कंपनी को इसमें कमीशन और दूसरे सेवाओं पर 35 रुपये का खर्च करना पड़ता था, तो उस पर 6.3 रुपये जीएसटी लगता था, जो कि 35 रुपये का 18 प्रतिशत है। इसे ITC के जरिए एडजस्ट कर लिया जाता था।
बीमा कंपनी इस 6.3 रुपये की राशि को जीएसटी कलेक्शन से एडजस्ट कर लेता था और सरकार के पास केवल 11.7 रुपये जमा होता था। लेकिन अब जीएसटी हटने के बाद यह ITC लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए बीमा कंपनी को अपनी लागत निकालने के लिए प्रीमियम 106.3 रुपये तक करना पड़ सकता है।
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