HAL Shares: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के शेयरों में आज खरीदारी का जोरदार रुझान दिखा। इसके शेयरों में खरीदारी का यह जोरदार रुझान 26 हजार करोड़ रुपये की एक डील को सिक्योरिटी से जुड़ी कैबिनेट कमेटी को मंजूरी के चलते आया। इस रुझान में शेयरों की खरीदारी बढ़ी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के शेयर इंट्रा-डे में 5.10 फीसदी उछलकर 4925.00 रुपये पर पहुंच गए। मुनाफावसूली के चलते भाव में थोड़ी नरमी है लेकिन अब भी यह काफी मजबूत स्थिति में है। आज बीएसई पर यह 3.08 फीसदी की बढ़त के साथ 4830.50 रुपये के भाव पर बंद हुआ है।
HAL के शेयरों को किस डील की मंजूरी से मिला सपोर्ट
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने भारतीय वायु सेना के Su-30MKI विमानों के लिए HAL से 240 एरो-इंजन (AL-31FP) की खरीद को मंजूरी दी। यह सौदा 'Buy (Indian)' कैटेगरी में है और इसकी कीमत 26,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। इस सौदे के तहत एक साल बाद एयरो-इंजनों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी और 8 साल के भीतर पूरा काम हो जाएगा। इस इंजन में 54 फीसदी से अधिक पार्ट्स स्वदेशी होंगे और इन्हें कंपनी के कोरापुट डिविजन में बनाया जाएगा। Su-30 MKI भारतीय वायु सेना के बेड़े का एक शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण विमान है।
ब्रोकरेज का क्या है रुझान?
इस ऑर्डर से कंपनी का ऑर्डर बुक और मजबूत होगा। पहले से ही इसका बैकलॉग वित्त वर्ष 2024 के आखिरी में उपलब्ध डेटा के मुताबिक 94 हजार करोड़ रुपये का है। मौजूदा डील को मंजूरी से इसका ऑर्डर बुक 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसे देखते हुए ब्रोकरेज फर्म एंटीक ब्रोकिंग (Antique Broking) ने इसे 6145 रुपये के टारगेट प्राइस पर खरीदारी की रेटिंग दी है। ब्रोकरेज का मानना है कि इसके शेयर काफी आकर्षक वैल्यूएशन पर हैं। एंटीक ब्रोकिंग का मानना है कि नियर टर्म में वित्तीय उतार-चढ़ाव के बावजूद यह निवेश के लिए शानदार स्टॉक है।
एचएएल के लिए नियर टर्म में कैसी है चुनौतियां?
हाल ही में डीके सुनील को एचएएल का प्रमुख बनाया गया। डीके सुनील ने CB अनंतकृष्णन की जगह ली, जो 31 अगस्त को रिटायर हुए थे। डीके सुनील ने एयरोस्पेस के कई अहम प्रोग्राम का नेतृत्व किया है उन्हें डिजाइन तैयार करने में महारत हासिल है। उन्हें कंपनी की जानकारी ऐसे समय में मिली है, जब यह कई अहम प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में लगी हुई है। अभी उनकी प्राथमिकताओं में LCA Mk-1A प्रोग्राम को तेजी से पूरा करना है। इसकी वजह ये है कि 83 LCA Mk-1As को समय पर डिलीवर करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वायुसेना भी इस ऑर्डर की स्पीड से खुश नहीं है। वायुसेना का कहना है कि नए लड़ाकू विमानों में देरी से काफी खतरे हैं। ऐसे में वायुसेना ने कंपनी से 48,000 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट को को समय पर पूरा करने की अपील की है।
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