HEG Shares Price: ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड बनाने वाली कंपनी HEG लिमिटेड के शेयरों में आज 31 जुलाई को 15% तक की तूफानी उछाल देखने को मिला। यह तेजी इस खबर के बाद आई कि कंपनी घाटे से अब मुनाफे में लौट आई है। साथ ही इसने 650 करोड़ रुपये की लागत से अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का भी ऐलान किया है। इस पॉजिटिव खबर का असर ग्रेफाइट इंडिया पर भी पड़ा और इसके शेयर लगभग 5% तक चढ़ गए। वहीं HEG के शेयर में लगभग 15% की उछाल देखी गई, जिससे इसका भाव 52-वीक हाई के करीब पहुंच गया। इस साल अब तक कंपनी के शेयरों में 13 पर्सेंट से ज्यादा की तेजी आ चुकी है।
HEG ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल जून तिमाही में उसे 71.8 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। जबकि इससे ठीक पहले मार्च तिमाही में कंपनी घाटे में रही थी। हालांकि पिछले वित्त वर्ष की जून तिमाही में कंपनी 2.6 करोड़ रुपये के मुनाफे में रही थी।
HEG के बोर्ड ने अपनी ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड उत्पादन क्षमता को 15,000 टन प्रति वर्ष (TPA) की बढ़ाने को मंजूरी दी है। इस पर कुल 650 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसे आंतरिक स्रोतों से जुटाए जाएगा और जरूरत पड़ने पर कर्ज लिया जाएगा। कंपनी को इस प्रोजेक्ट 30 महीनों में पूरी होने की उम्मीद है।
ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव का संकेत
HEG का यह विस्तार ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिका अपने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंडस्ट्री की चीन पर निर्भरता कम करने के लिए मोटिवेट कर रहा है। अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में चीन से ग्रेफाइट के आयात पर 93.5% का एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का ऐलान किया था। अमेरिका का आरोप है कि चीन ग्रेफाइट इंडस्ट्री को अनुचित सब्सिडी दे रहा है और ग्लोबल मार्केट को प्रभावित कर रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों के लिए ग्रेफाइट एक जरूरी कच्चा माल है। इसका इस्तेमाल बैटरियों के एनोड को बनाने में होता है। साल 2024 में अमेरिका ने अपनी ग्रेफाइट जरूरत का दो-तिहाई हिस्सा चीन से इंपोर्ट किया था।
इंडियन एनर्जी एजेंसी (IEA) ने मई 2025 में एक रिपोर्ट में कहा था कि ग्रेफाइट प्रॉसेसिंग इंडस्ट्री पर चीन का दबदबा है, जो इसकी ग्लोबल सप्लाई को लेकर सबसे बड़ा खतरा है और इसे तत्काल डायवर्सिफाई करने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका अगर चीन से ग्रेफाइट का इंपोर्ट घटाता है तो इससे भारतीय कंपनियों को बड़ा अवसर मिल सकता है।
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