घरेलू बाजार में चालू गिरावट के दौर में निफ्टी 500 इंडेक्स में शामिल करीब 83 फीसदी स्टॉक्स ने 2022 में अब तक फ्लैट या निगेटिव रिटर्न दिया है। मनीकंट्रोल द्वारा जुटाए गए आकंड़ों से पता चलता है कि इनमें से कई स्टॉक अपने 52 वीक लो और 200DMA के नीचे नजर आ रहे हैं। इस साल अब तक निफ्टी 500 इंडेक्स 12 फीसदी टूटा है। जबकि बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई है।
इस साल की शुरुआत से अब तक जिन कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है उनमें Dhani Services, Solara Active Pharma, Brightcom Group, Indiabulls Real Estate, Metropolis Healthcare, Hikal, Indiabulls Housing Finance, Dilip Buildcon, Welspun India, Nazara Tech, One97 Communications, Zomato और Sterlite Tech के नाम शामिल हैं। ये स्टॉक इस अवधि में 40-80 फीसदी टूटे हैं।
इसी तरह निफ्टी 50 में शामिल Hindalco Industries, Tata Steel, BPCL, IndusInd Bank, Shree Cement, HDFC Bank, Asian Paints, Wipro, Infosys, HDFC, HCL Technologies, Bajaj Finance, Tata Consultancy Services, Tech Mahindra और Grasim Industries के शेयरों ने हाल ही में अपना 1 साल का निचला स्तर छुआ है। अब तक इस साल इन शेयरों में 8-40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
MOFSL की स्नेहा पोद्दार का कहना है कि ब्रॉडर मार्केट में एफआईआई की भारी बिकवाली के चलते दबाव देखने को मिला है। इसके अलावा महंगे वैल्यूएशन और महंगाई के दबाव के कारण भी ब्रॉडर मार्केट में गिरावट देखने को मिली है। हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि बाजार में आया यह भारी करेक्शन अच्छे शेयरों में खरीदारी के मौके भी दे रहा है।
आनंदराठी के नरेंद्र सोलंकी का कहना है कि लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए इस समय अपने पोर्टफोलियो में अच्छे ग्रोथ स्टॉक को जोड़ने का शानदार मौका नजर आ रहा है। सोलंकी का कहना है कि अगर उनकी निवेश वाली कंपनी की ग्रोथ संभावनाएं मजबूत हैं तो निवेशकों को अपने वर्तमान निवेश में बने रहना चाहिए। वर्तमान में दिखाई दे रहा उतार-चढ़ाव शॉर्ट से मीडियम टर्म की समस्या है। लंबी अवधि के नजरिए से देखें तो हमारी इकोनॉमी काफी मजबूत और संभावनाओं से भरी नजर आ रही है।
मार्केट एनालिस्टों का यह भी मानना है कि आगे हमें फ्यूचर और ऑप्शन सेगमेंट में ट्रेड होने वाले कुछ कंज्यूमर ड्युरेबल, ऑटो, बैंकिंग, रियल्टी और मेटल स्टॉक्स में निगेटिव से लो रिटर्न देखने को मिल सकता है। एनालिस्ट का कहना है कि कर्ज लागत बढ़ने और प्रोडक्ट की कीमत बढ़ने की वजह से उन कंपनियों के डिमांड में कमी आती नजर आ सकती है। ये कंपनियां बढ़ती उत्पादन लागत की समस्या से भी जूझ रही हैं। सरकार के एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के बाद से ही मेटल स्टॉक पहले से ही दबाव में चल रहे हैं।
आईटी सेक्टर पर एनालिस्ट की राय है कि बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, रूस-यूक्रेन वार जैसी चुनौतियां जल्द खत्म होने वाली नहीं हैं। ऐसे में आईटी कंपनियों के ऑर्डर बुक पर दबाव देखने को मिल सकता है। तमाम भारतीय आईटी कंपनियां अपने कारोबार को रूस से हटाकर दूसरी जगह ले जा रही है । इससे उनके मार्जिन पर और दबाव आने की संभावनाएं हैं।
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