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Concor के विनिवेश में आयेगी तेजी, कैबिनेट बैठक में रेल की जमीन की लीज बढ़ाने और फीस घटाने पर होगी चर्चा!

CONCOR के विनिवेश के जरूरी माने जाने वाले रेलवे की भूमि की लीज और फीस पर आज कैबिनेट बैठक में विचार संभव है

अपडेटेड Jul 06, 2022 पर 2:33 PM
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कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में इस समय सरकार की 54.80% हिस्सेदारी है

केंद्रीय मंत्रिमंडल आज यानी कि छह जुलाई को लैंड लाइसेंसिंग फीस (LLF) में कटौती और रेलवे भूमि के लिए पट्टे (lease) की अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है। रेलवे लैंड पॉलिसी में बहुप्रतीक्षित संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी मिलने से कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Container Corporation of India (Concor) की रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया आसानी होगी। बता दें कि पॉलिसी में बदलाव किये जाने से Concor में निजी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।

हमारे सहयोगी चैनल सीएनबीसी-आवाज़ के इकोनॉमिक पॉलिसी एडिटर और ब्यूरो चीफ लक्ष्मण रॉय ने सूत्रों के हवाले से कहा कि आज की बैठक में रेल की जमीन की लीज और फीस में रियायत संभव है। इस संबंध में अंतिम प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा गया है। इस पर आज कैबिनेट की बैठक में विचार हो सकता है। इस बैठक में लैंड लाइसेंस फीस (LLF) में बड़ी कटौती की संभावना व्यक्त की जा रही है।

लक्ष्मण ने आगे कहा कि अभी LLF जमीन के औद्योगिक उपयोग पर करीब 6% फीस देनी होती है जिसे सरकार घटाकर से 2 से 3 प्रतिशत कर सकती है। इसके अलाव जमीन की लीज की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव भी है और सूत्रों के मुताबिक ये 5 साल से बढ़ाकर करीब 30 साल करने पर विचार किया जा सकता है।


बता दें कि सरकार CONCOR का विनिवेश करने जा रही है और माना जा रहा है कि कंटेनर कॉर्पोरेशन के सफल विनिवेश के लिए ये जरूरी है लिहाजा सरकार की तरफ से इस पर विचार किया जा सकता है। फिलहाल CONCOR में 30.8% सरकारी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी मिली है। हालांकि इस समय CONCOR में सरकार की 54.80% हिस्सेदारी है।

रेलवे की जमीन का CONCOR के विनिवेश से क्या रिश्ता है और किस तरह से फायदा होगा

रेलवे के जमीन के बारे में लीज और फीस पर निर्णय आने से CONCOR को राहत मिल सकती है। बता दें कि करीब 25 इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) रेलवे की जमीन पर हैं। अप्रैल 2020 से रेलवे ने लैंड लाइसेंस फीस बढ़ा दी है। इसकी वजह से FY21 में लैंड लाइसेंस फीस बढ़कर 590 करोड़ रुपये हो गई। जबकि FY20 में लैंड लाइसेंस फीस 140 करोड़ रुपये थी। उस समय विनिवेश मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके साथ ही लीज और फीस में रियायत की मांग भी की थी।

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

 

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